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दस एकड़ जमीन पर 120 करोड़ का निवेश

औद्योगिक इलाके आसनसोल में धीरे-धीरे निवेश बढ़ने लगा है. पेप्सी के बोटलिंग प्लांट के बाद टीआईपीएल ने भी 120 करोड़ के निवेश की घोषणा की है. दावा है कि आगामी सितंबर से वाणिज्यिक निर्माण शुरू होगा. इससे रोजगार सृजन के साथ ही अर्थ व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी. आसनसोल. देश में ट्रेक्टर निमाण के उद्योग […]

औद्योगिक इलाके आसनसोल में धीरे-धीरे निवेश बढ़ने लगा है. पेप्सी के बोटलिंग प्लांट के बाद टीआईपीएल ने भी 120 करोड़ के निवेश की घोषणा की है. दावा है कि आगामी सितंबर से वाणिज्यिक निर्माण शुरू होगा. इससे रोजगार सृजन के साथ ही अर्थ व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.
आसनसोल. देश में ट्रेक्टर निमाण के उद्योग में स्थापित व चर्चित कंपनी ट्रेक्टर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (टीआईपीएल) आसनसोल में शीघ्र ही 120 करोड़ रूपये का निवेश कर भूमिगत खनन उपकरण निर्माण प्लांट लगायेगी. कंपनी के प्रबंध निदेशक सुनील कुमार चतुव्रेदी ने कहा कि इसके लिए दस एकड़ जमीन की आवश्यकता है, जिसकी व्यवस्था हो गयी है.उस कारखाने से सितंबर, 2018 तक पहली मशीन का निर्माण शुरू हो जायेगा.
पूरे विश्व में भूमिगत खदानों में खनन कार्य में मशीनों का उपयोग हो रहा है तथा मैनुअल कार्य कम हो रहे हैं.कोयला खनन के क्षेत्र में भी भूमिगत खदानों में मैनुअल खनन न कर एसडीएल लगायी जा रही है. लांगवाल तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. ऑस्ट्रलिया, रूस तथा यूरोप के विभिन्न देशों में भूमिगत खनन में आधुनिक व बड़ी मशीनों का उपयोग हो रहा है. इसके कारण इन देशों में ऐसी मशीनों के लिए बड़ा बाजार विकसित हो रहा है. उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी इन मशीनों की खपत भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, रूस तथा यूरोप के विभिन्न देशों में करेगी. श्री चतुव्रेदी ने कहा कि उनकी कंपनी टीआइपीएल कैटरपिलर द्वारा निर्मित अर्थ मूविंग मशीनों के उपकरणों की अधिकृत डीलर है.
कंपनी ने इन उपकरणों के व्यवसाय करने के साथ-साथ कैटरपिलर कंपनी के तकनीक का उपयोग कर अपने ब्रांड के नाम से इन मशीनों के निर्माण करने का निर्णय लिया है. यह स्थिति इसलिए भी बनी है, क्योंकि कैटरपिलर ने इन मशीनों का निर्माण बंद कर दिया है. उक्त कंपनी ने इन मशीनों के निर्माण की तकनीक के उपयोग की अनुमति दे दी है. कंपनी के मशीनों के उत्पादन बंद करने से भी बाजार में इनकी मांग बरकरार है.
उन्होंने कहा कि इस प्लांट के लिए दस एकड़ जमीन की आवश्यकता है तथा यह जमीन कंपनी को मिल गयी है. शीघ्र ही इस जमीन पर कंपनी अपना कार्य शुरू कर देगी.
यदि सब कुछ सामान्य रहा तो आगामी वित्तीय वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर तक अपना वाणिज्यिक निर्माण शुरू कर देगी. उन्होंने कहा कि कंपनी इन मशीनों के लिए देश के घरेलू बाजार के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, रूस तथा यूरोप के विभिन्न देशों में बाजार तलाश करेगी. ट्रेक्टर के कारण इन देशों में पहले से ही कंपनी की पहुंच बनी हुयी है.
उन्होंने कहा कि इस मशीन के निर्माण में व्यवहृत होनेवाले कुछ उपकरणों की खरीदारी कंपनी देश की विभिन्न कंपनियों तथा विदेश की कंपनियों से भी करेगी.श्री चतुव्रेदी ने कहा कि यह मशीन काफी कीमती होगी. एक मशीन की कीमत 90 करोड़ रूपये से भी अधिक होगी. इस कारण इस मशीन का उत्पादन कारखाने में प्रति वर्ष अधिकतम तीन होगी. इस मशीन की विशेषता यह होगी कि कीन मंजिला मकान तक की ऊंचाई पर भी यह आसानी से पहुंच सकती है.

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