जानकारी के मुताबिक, बीते साल के नवंबर महीने से स्नेहाशीष फरजी डिग्री के आधार पर धूमपाड़ा स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा अधिकारी पद पर काम कर रहा था. वह पहले से ही संदेहास्पद लोगों की सूची में था. उसका सर्टिफिकेट सत्यापन के लिए भागलपुर भेजा गया था. वहां से जानकारी मिली कि सर्टिफिकेट जाली है. रजिस्ट्रेशन नंबर भी जाली पाया गया. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने शिकायत दर्ज करायी.
इधर जानकारी मिली है कि आरोपी डॉक्टर मंगलवार को नागराकाटा ब्लॉक स्वास्थ्य अधिकारी के पास नौकरी से इस्तीफा देने गया था. तब यह और साफ हो गया कि स्नेहाशीष फरजी डॉक्टर है. जानकारी मिली है कि वह फरजी डिग्री दिखाकर पहले बीरपाड़ा चाय बागान समेत कई अन्य बागानों में भी नौकरी कर चुका है. धूमपाड़ा स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा अधिकारी पद पर रहते हुए इसने प्राइवेट प्रैक्टिस का जाल फैला रखा था. वह छोटे-मोटे ऑपरेशन आदि भी करता था. उसके इलाज को देख किसी को कभी शक नहीं हुआ कि वह फरजी डॉक्टर है.
थाना ले जाये जाते समय स्नेहाशीष ने मीडिया को बताया कि वह अकेले जिम्मेदार नहीं है. इस खेल में स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी जुड़े हुए हैं. स्नेहाशीष ने कहा कि जिन लोगों ने उसे नौकरी पर रखवाया, वे कोई दूध के धुले हुए लोग नहीं हैं.
इस बारे में जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ जगन्नाथ सरकार ने कहा कि नेशनली रूरल हेल्थ मिशन की ओर से जिला स्वास्थ्य विभाग को नौ डॉक्टरों के नाम की एक सूची दी गयी थी और उनकी डिग्रियों का सत्यापन कराने को कहा गया था. इनमें से आठ डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन ठीक पाया गया, जबकि स्नेहाशीष का रजिस्ट्रेशन नंबर फरजी मिला. पूछताछ में उसने स्वीकार किया है कि उसके सभी मेडिकल कागजात फरजी हैं.