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तपन दत्त हत्याकांड में हावड़ा जिला अदालत का फैसला खारिज

कोलकाता. बाली के तपन दत्त हत्याकांड में कलकत्ता हाइकोर्ट ने हावड़ा जिला अदालत का फैसला खारिज कर दिया. साथ ही तथ्यों के आधार पर फिर से सुनवाई करने के लिए निचली अदालत को कहा है. इसके अलावा याचिकाकर्ता यदि चाहें तो मामले की सीबीअाइ जांच की याचिका पर अदालत सुनवाई कर सकती है. कलकत्ता हाइकोर्ट […]

कोलकाता. बाली के तपन दत्त हत्याकांड में कलकत्ता हाइकोर्ट ने हावड़ा जिला अदालत का फैसला खारिज कर दिया. साथ ही तथ्यों के आधार पर फिर से सुनवाई करने के लिए निचली अदालत को कहा है. इसके अलावा याचिकाकर्ता यदि चाहें तो मामले की सीबीअाइ जांच की याचिका पर अदालत सुनवाई कर सकती है. कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश देवाशीष कर गुप्ता की खंडपीठ ने हावड़ा जिला अदालत के फैसले को खारिज कर दिया है. जिला अदालत ने सभी पांच आरोपियों को निर्दोष करार दिया था. मृतक तपन दत्त की पत्नी प्रतीमा दत्त ने हावड़ा जिला अदालत के फैसले के खिलाफ कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. उनके वकील सब्यसाची चटर्जी हैं.
क्या है घटना : वर्ष 2011 के छह मई को तपन दत्त बाइक से घर लौट रहे थे. उनके साथ बबलू प्रसाद नामक व्यक्ति था. बाली के लेवल क्रॉसिंग के पास कुछ लोगों ने उन पर गोलियां चलानी शुरू कर दी जिससे तपन दत्त की गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गयी जबकि उनका साथी बबलू मौके से भागने में कामयाब रहा . पुलिस ने मामले की शिकायत दर्ज कर मामले की जांच शुरू की फिर बाद में सीआइडी को जांच का जिम्मा दे दिया गया. घटना की प्राथमिक जांच में ही सीबीअाइ आश्वस्त थी कि यह हत्या राजनीतिक कारणों से नहीं बल्कि जलाभूमि को पाटने का विरोध करने पर की गयी है.
जांच में विवाद : 2011 के 30 अगस्त को सीआइडी ने मामले की चार्जशीट जमा दी. चार्जशीट में हावड़ा के कुछ तृणमूल नेताओं समेत 16 लोगों के नाम थे. इनमें से पांच को गिरफ्तार कर लिया गया जबकि दो व्यक्ति राजू व संतोष सिंह को फरार बताया गया था. 2011 के 26 सितंबर को सीआइडी ने एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट जमा की. इसमें बगैर कोई कारण बताये नौ लोगों के नाम हटा दिये गये थे. ये सभी हावड़ा के तृणमूल नेता थे.
क्या था जिला अदालत का फैसला
यह मामला तीन वर्ष तक चला. 2014 के तीन दिसंबर को मामले का फैसला सुनाया जाना था. वह फिर पांच दिसंबर तक टल गया था. उस दिन फिर तपन दत्त की पत्नी ने अदालत के फैसले को स्थगित रखने का आवेदन किया. अदालत ने अगले शनिवार यानी 12 दिसंबर को फैसला सुनाया. न्यायाधीश देवव्रत मुखोपाध्याय ने फैसला सुनाया कि आरोपियों के खिलाफ किसी चश्मदीद गवाह को सीअाइडी हाजिर नहीं कर सकी. साथ ही कहा गया था कि मूल आरोपी रमेश महतो है, लेकिन हत्या के वक्त रमेश एक अन्य मामले में जेल में बंद था. ऐसे में सीआइडी ने उसे कैसे मूल आरोपी बनाया. हावड़ा फास्ट ट्रैक अदालत ने सीआइडी जांच पर असंतोष प्रकट किया था. हत्या के मामले में आरोपी रमेश महतो के अलावा षष्ठी गायेन, सुभाष भौमिक, कार्तिक दास, असित गायेन, संतोष सिंह और पी राजू शामिल हैं. संतोष और पी राजू फरार हैं. आरोपियों में षष्ठी और असित स्थानीय तृणमूल नेता हैं. मामले के दौरान ही पांचों को जमानत मिल गयी थी.
न्याय व्यवस्था अब भी बरकरार
जिला अदालत के फैसले के बाद प्रतिमा दत्त ने कहा कि अदालत का फैसला अपेक्षित था. सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने जांच को प्रभावित किया है. इसलिए वह हाइकोर्ट की शरण में जायेंगी. सोमवार को हाइकोर्ट के निर्देश के बाद उन्होंने कहा कि सोमवार के फैसले से साबित हो गया कि उनकी सात वर्षों की लड़ाई सार्थक हुई.

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