कोलकाता: राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों द्वारा उचित कीमत वाले दवा दुकानों में मिलने वाली दवाओं पर गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाया गया था, इस संबंध में चिकित्सकों ने स्वास्थ्य विभाग व वेस्ट बंगाल डायरेक्टोरेट ऑफ ड्रग कंट्रोल लैबोरेटरी (डब्लूबीडीडीसीएल) के समक्ष शिकायत दर्ज करायी थी, इसके बाद राज्य सरकार ने इसे लेकर कार्रवाई शुरू कर दी है. महानगर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित फेयर प्राइस शॉप की दवाओं को जांच के लिए बंगाल के बाहर बड़े लैबोरेटरी में भेजा गया है.
गौरतलब है कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित सरकारी अस्पतालों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर करीब 50 फेयर प्राइस शॉप खोले गये हैं, इसके लिए राज्य सरकार ने पीपीपी मॉडल के तहत कार्य है और निजी कंपनियां इन दुकानों में दवाओं की आपूर्ति करती है. इन दुकानों में दवाओं को 65 फीसदी से भी अधिक छूट पर बेचा जाता है.
लेकिन कुछ चिकित्सकों ने ही यहां मिलनेवाले दवाओं की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगाया था. इसके बाद राज्य सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए यहां से दवाओं को दिल्ली, हैदराबाद, पुणो, चेन्नई इत्यादि अन्य लैबोरेटरी में जांच के लिए भेज दिया है. अगले दो सप्ताह के अंदर लैबोरेटरी द्वारा रिपोर्ट कलकत्ता मेडिकल स्टोर (सीएमएस) व स्टेट ड्रग कंट्रोल कार्यालय को भेज दिया जायेगा. इस संबंध में सीएमएस की निदेशक डॉ शिखा अधिकारी ने बताया कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने निविदा आमंत्रित कर 10 बड़े निजी लैबोरेटरी का चयन किया, जहां इन दवाओं को जांच के लिए भेजा गया है. इन सभी लैबोरेटरी को नेशनल बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेटिंग लैबोरेटरीज (एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त मिली है. उन्होंने बताया कि दिसंबर महीने के मध्य तक लैबोरेटरी से दवाओं के संबंध में जांच रिपोर्ट आ जायेगी, अगर दवाओं में किसी प्रकार की कमी पायी गयी तो राज्य सरकार द्वारा दवा बनानेवाली कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी.