कोलकाता: वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ व झारखंड मुक्ति मोरचा और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने निजी राजनीतिक सलाहकार पीएन पांडेय ने कहा है कि पश्चिम बंगाल व झारखंड के पहले से ही संबंध बेहतर व लगावपूर्ण रहे हैं. यहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी झारखंड से पुराना लगाव है, लेकिन आलू प्रकरण के करण आपसी संबंध प्रभावित हो रहे हैं. श्री पांडेय ने ये बातें अपने निजी कोलकाता दौरे के दौरान एक विशेष बातचीत में कहीं.
उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में बंगाल से झारखंड सहित अन्य राज्यों को आलू नहीं भेजा जा रहा है. यह सरकार का गलत निर्णय है. भारत एक है और हम पड़ोसी राज्य हैं. अगर बंगाल से झारखंड को आलू नहीं मिले और झारखंड से कोयला व अन्य खनिज पदार्थो की आपूर्ति बंगाल में बंद कर दी जाये, तो यहां बिजली संकट पैदा हो जायेगी. झारखंड से बंगाल को कोयले की आपूर्ति अब भी जारी है. कोयले से ही यहां बिजली की आपूर्ति हो रही है. इसी तरह से बंगाल से झारखंड को आलू नहीं मिलने से वहां समस्या होगी.
श्री पांडेय ने कहा कि झारखंड में बांग्ला को जो सम्मान प्राप्त है, वह दूसरी भाषाओं को नहीं है. झारखंड में रहनेवाले बंगाली हमारे लिए अतिथि देवो भव के रूप में हैं. दो राज्यों में सामानों की आपूर्ति पर रोक लगाने से टकराव बढ़ेगा. पड़ोसी धर्म भी प्रभावित होगा.
दीदी हैं ममता बनर्जी
श्री पांडेय ने कहा : झारखंडवासी भी ममता बनर्जी को बंगाल का सीएम नहीं बल्कि दीदी बुलाते हैं. ऐसे में दीदी का भी कर्तव्य है कि वह पड़ोसी राज्यों के सीएम को अपना भाई समङों. हमने दीदी का साथ तब से दिया है, जब उनके साथ कोई नहीं था. झारखंड मुक्ति मोरचा ने दीदी की पार्टी से पहला गंठबंधन किया था. हम आज भी दीदी का सम्मान करते हैं. दीदी को चाहिए कि वह आलू भेजने के प्रतिबंध को वापस ले लें. हम भी उनका साथ एक बेहतर पड़ोसी की तरह निभायेंगे. उन्होंने कहा कि दीदी की विश्वसनीयता बनी रही, तो अगले वर्ष हम राइटर्स आकर उनसे राखी बंधवायेंगे. इसमें हमारी सरकार के मंत्री व अधिकारी भी रहेंगे.