कोलकाता: वक्फ कानून में संशोधन के कारण कोई भी मंत्री वक्फ बोर्ड के चेयरमैन का पद तो दूर, अब सदस्य भी नहीं रह पायेंगे. केंद्र व राज्य सरकार दोनों ही क्षेत्रों में यह नियम लागू होगा. हालांकि एक नवंबर से ही यह नियम लागू हो चुका है और केंद्र सरकार ने इस संबंध में राज्य सरकार को अवगत भी करा दिया है.
गौरतलब है कि सातवीं वाम मोरचा शासनकाल के दौरान राज्य के तत्कालीन अल्पसंख्यक विकास मंत्री अब्दुस सत्तार ही राज्य वक्फ बोर्ड के चेयरमैन भी थे और वर्तमान समय में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अबू हाशिम खान चौधरी भी इसके सदस्य हैं.
पहले इस संबंध में कोई निर्देश नहीं रहने के कारण मंत्री भी बोर्ड में सदस्य या चेयरमैन का पद संभालते थे. वक्फ बोर्ड की 14 नंबर धारा में संशोधन करते हुए, अब मंत्रियों को बोर्ड में सदस्य होने का भी अधिकार नहीं दिया गया है. हालांकि नया कानून लागू होने के बावजूद फिलहाल जो भी मंत्री इस बोर्ड के सदस्य हैं, उन्हें अभी इस्तीफा नहीं देना है.
इस संबंध में राज्य के वक्फ बोर्ड के चेयरमैन मोहम्मद अब्दुल गनी ने बताया कि जिस समय इन लोगों को बोर्ड में शामिल किया गया था, उस समय यह कानून नहीं बना था, इसलिए उन्हें फिलहाल इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है. लेकिन उनकी समय-सीमा खत्म होने के बाद वह बोर्ड में नये सिरे से सदस्य नहीं रह पायेंगे.
इस नये कानून में और दो महत्वपूर्ण विषयों को जोड़ा गया है. वक्फ की संपत्ति को लेकर होनेवाले मामले के लिए बने ट्राइब्युनल कोर्ट में पहले सिर्फ एक ही जिलास्तर के जज थे, लेकिन अब से ट्राइब्युनल में एक जिला जज, दायरा अदालत के जज व सिविल जज के रूप में रहेंगे बोर्ड के चेयरमैन. अब तक वक्फ बोर्ड के चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का नियम नहीं था, लेकिन अब अगर बोर्ड के सदस्य चाहें, तो वह चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर उन्हें हटा सकते हैं. लेकिन इसके लिए कम से कम बोर्ड के तीन सदस्यों को लिखित रूप से अविश्वास प्रस्ताव जमा करना होगा.