कोलकाता: राज्य सरकार ने चिट फंड कंपनियों से मुकाबले के लिए पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास वित्त निगम (डब्ल्यूबीआइडीएफसी) के माध्यम से जमा योजना शुरू करने की घोषणा की थी. इसमें इलाहाबाद बैंक के माध्यम से राशि जमा करने की बात कही गयी थी, लेकिन गुरुवार को इलाहाबाद बैंक ने स्पष्ट कर दिया क उसने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) से स्पष्टीकरण मांगा है कि वह राज्य सरकार के एवज में लोगों से जमा संग्रह कर सकता है या नहीं.
बुधवार को डब्ल्यूबीआइडीएफसी ने एक बयान जारी कर कहा था कि इस बैंक ने राशि जमा लेने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. इलाहाबाद बैंक की अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक शुभलक्ष्मी पंसे ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इस तरह की योजना भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की योजना के अनुरूप होनी चाहिए.
इस योजना में भागीदारी से पहले आरबीआइ की अनुमति जरूरी है. उन्होंने आरबीआइ से स्पष्टीकरण मांगा है व जवाब का इंतजार कर रहे हैं. उन लोगों ने सरकार से अनुरोध किया है कि वे बैंकों की सूची में उन लोगों को नाम शामिल नहीं करें, जब तक आरबीआइ से अनुमति नहीं मिल जाती है, लेकिन उन्होंने बैंकों की सूची में उन लोगों का नाम शामिल कर लिया है. इस कारण उन लोगों को यह बयान देना पड़ रहा है.
श्रीमती पंसे ने कहा कि बैंक को यह जानकारी नहीं है कि गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) जैसे डब्ल्यूबीआइडीएफसी बैंक के माध्यम से लोगों से जमा ले सकता है या नहीं. उन्हें यह मालूम नहीं है कि जमा का क्या होगा, क्योंकि यह उन लोगों के पास नहीं रहेगा. डब्ल्यूबीआइडीएफसी ने एक विज्ञापन दिया था. इसमें कहा गया था कि सेविंग स्कीम में बैंकों के रूप में इलाहाबाद, भारतीय स्टेट बैंक, यूको बैंक व यूनाइटेड बैंक को शामिल किया गया है. विज्ञापन के माध्यम से आम लोगों से इन चार बैंकों में राशि जमा करने का आवेदन किया गया था. विज्ञापन के अनुसार कोई भी व्यक्ति कम से कम 1000 रुपये 12 से 60 माह तक जमा कर सकता है और इस पर 9.00 से 9.25 फीसदी ब्याज प्रति वर्ष दिया जायेगा.