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छह से पेट्रापोल सीमा पर रिट्रीट समारोह

कोलकाता: भारत-बांग्लादेश की सीमा पेट्रापोल पर अटारी व बाघा की तरह ही रिट्रीट समारोह शुरू होने जा रहा है. यह समारोह दो अक्तूबर को गांधी जयंती के अवसर पर शुरू होने वाला था,लेकिन दोनों देशों के अधिकारियों की अनुपलब्धता के कारण समारोह रद्द कर दिया गया था, लेकिन अब यह समारोह छह नंवबर को होगा. […]

कोलकाता: भारत-बांग्लादेश की सीमा पेट्रापोल पर अटारी व बाघा की तरह ही रिट्रीट समारोह शुरू होने जा रहा है. यह समारोह दो अक्तूबर को गांधी जयंती के अवसर पर शुरू होने वाला था,लेकिन दोनों देशों के अधिकारियों की अनुपलब्धता के कारण समारोह रद्द कर दिया गया था, लेकिन अब यह समारोह छह नंवबर को होगा.

इसमें बाघा सीमा की तरह पेट्रोपोल में भारत व बांग्लादेश के जवानों के बीच तनातनी नहीं होंगी, सांस्कृतिक आदान-प्रदान होगा. सीमा पर अब गोलियों की आवाज ही नहीं, वरन रवींद्र संगीत और नजरूल गीत भी गूजेंगे.

यह रिट्रीट बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) तथा बीजीबी (बोर्डर गार्ड बांग्लादेश) के मध्य शुरू होगा. सीमा सुरक्षा बल के अतिरिक्त महानिदेशक (पूर्वी क्षेत्र) बीडी शर्मा ने बताया कि इस रिट्रीट समारोह के दौरान सूर्यास्त के समय एक शानदार ड्रिल का प्रदर्शन दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों द्वारा राष्ट्र ध्वज के सम्मान में किया जायेगा. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे व बीएसएफ के महानिदेशक सुभाष जोशी व बांग्लादेश के गृह मंत्री व बीजीबी महानिदेशक इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे.

क्या होगा रिट्रीट में
श्री शर्मा ने बताया कि पेट्रापोल होने वाली ड्रिल में दोनों देशों की सांस्कृतिक झलक होगी. रवींद्रनाथ टैगोर, नजरूल के गीत गूजेंगे. दोनों देशों के स्कूलों के बच्चे कार्यक्रम पेश करेंगे. यहां पंजाब के अटारी-बाघा सीमा पर की जाने वाली ड्रिल में जो आक्र ामकता होती है वह नहीं होगी, बल्कि इस कार्यक्र म में बंगाल की संस्कृति के सूक्ष्म पहलुओं पर अधिक ध्यान दिया जायेगा. रिट्रीट समारोह के दौरान झंडा उतारने की कार्यवाही सूर्यास्त से पहले ही की जायेगी. दोनों देशों के 20-20 जवानों का दल जीरो लाइन पर स्थित गेट तक मार्च करेगा और गेट को खोलेगा और अगले आधे घंटे तक नजरूल एवं रवींद्र संगीत की मधुर धुनों से शाम का समा गुंजेगा और मौसम को सुहावना बनायेगा. इस कार्यक्र म के बाद दोनों देशो के सीमा सुरक्षा बल के सदस्य आपस में हाथ मिलायेंगे और वापस अपनी जगह पर चले जायेंगे. इस समारोह में महिला कर्मी भी शामिल होगी. सर्वप्रथम इस सांस्कृतिक कार्यक्र म का आयोजन दोनों देशों के राष्ट्रीय अवकाश के दिन किया जायेगा तथा दोनों देशों के आपसी सहमति के बाद महीने में एक बार या पखवाड़े में एक बार होगा.

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