कोलकाता: सारधा घोटाले के बाद मामले की जांच करने व जमाकर्ताओं की राशि वापस दिलाने के लिए राज्य सरकार ने जस्टिस श्यामल सेन के नेतृत्व गठित किये गये आयोग ने राज्य सरकार को सारधा समूह की संपत्ति को बेच कर लोगों का रुपया वापस करने का प्रस्ताव दिया है. इस संबंध में जल्द ही आयोग द्वारा लिखित रूप से यह प्रस्ताव राज्य सरकार को सौंपा जायेगा.
यह जानकारी जस्टिस श्यामल सेन ने दी. उन्होंने बताया कि सारधा की संपत्ति बेचे बिना लोगों का रुपया वापस कर पाना संभव नहीं है. आयोग के पास अब करीब 17 लोगों ने अपनी राशि वापस लेने के लिए आवेदन जमा किये हैं. इनमें से करीब 70 फीसदी लोगों की राशि 10 हजार रुपये से कम है. एक व्यक्ति ने व्यक्तिगत रूप से सबसे अधिक 27 लाख रुपये का निवेश सारधा ग्रुप में किया है. आयोग के समक्ष सारधा के साथ-साथ एमाजोन, सौराहा माइक्रो फाइनेंस, सन्मार्ग, आइकोर, रोज वैली व अलकेमिस्ट के भी जमाकर्ताओं ने आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज करायी है.
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने कुछ दिन पहले ही चिट फंड कंपनियों पर अंकुश लगाने के लिए द वेस्ट बंगाल प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपोजिटर्स इन फाइनेंशियल एस्टाब्लिशमेंट बिल 2013 पेश किया था, जिसे स्वीकृति प्रदान करने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया है. राष्ट्रपति की अनुमति मिलते ही इस कानून को यहां लागू कर दिया जायेगा.
ज्ञात हो कि राज्य सरकार ने चिट फंड कंपनी में निवेश करनेवाले लोगों के लिए 500 करोड़ रुपये की राहत राशि एकत्रित करने का फैसला किया है, इसमें से 150 करोड़ रुपये तंबाकू पर अतिरिक्त कर लगा कर वसूला जायेगा. जस्टिस से कहा कि चिट फंड कंपनियों जिस प्रकार का रिटर्न करने की वादा करती हैं, उससे ही लोग इसके प्रति काफी आकर्षित होते हैं. कंपनियां फिक्स्ड डिपोजिट, मासिक आय व रेकरिंग डिपोजिट तीन रूप से रुपया जमा लेती हैं और बिना किसी ब्याज दर के रुपये को दोगुना करने का वादा करती हैं.