कोलकाता: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का परिणाम राज्य की राजनीति की दिशा तय करेगा. ग्राम पंचायत, पंचायत समिति व जिला परिषद के लिए पांच चरणों में हुए मतदान का परिणाम सोमवार को घोषित हो जायेगा. फिलहाल दो जिला परिषद दक्षिण 24 परगना व पूर्व मेदिनीपुर पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है. बाकी नगरपालिकाओं पर वाम मोरचा व कांग्रेस का कब्जा है.
2009 में लोकसभा चुनाव में तृणमूल ने कांग्रेस के साथ गंठबंधन कर 19 सीटों पर जीत हासिल की थी. उसके बाद 2011 में विधानसभा चुनाव में तृणमूल ने कांग्रेस के साथ गंठबंधन कर बहुमत हासिल किया और राज्य से 34 वर्षो के वाम मोरचा शासन का अंत हुआ. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनी. हालांकि आरंभ में इस सरकार में घटक दल कांग्रेस भी शामिल थी, लेकिन केंद्र सरकार की नीतियों से टकराव होने के बाद तृणमूल यूपीए-दो सरकार से अलग हो गयी. इस वजह से राज्य में भी कांग्रेस ने सरकार से नाता तोड़ लिया. विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में लोकसभा उपचुनाव व विधानसभा के उपचुनाव हुए थे. उन उपचुनावों में कुछ में झटका लगने के बावजूद तृणमूल कांग्रेस ने अपनी बढ़त बरकरार रखी थी, लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद पंचायत चुनाव ही राज्य में सबसे बड़ा चुनाव है.
आयोग व सरकार के बीच लंबी खींचतान
चुनाव को लेकर पहले से ही राज्य चुनाव आयोग व सरकार में लंबी खींचतान चली. खींचतान अदालत तक पहुंची. पहले उच्च न्यायालय, फिर सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद राज्य में पांच चरणों में मतदान हुआ. मतदान के दौरान हिंसक वारदातें भी घटीं. चुनावी हिंसा में लगभग 28 लोगों की जान गयी, लेकिन मतदान के दौरान विरोधी राजनीतिक दलों वाम मोरचा व कांग्रेस ने सत्तारूढ़ तृणमूल पर चुनाव में धांधली व केंद्रीय बलों का इस्तेमाल नहीं करने का आरोप लगाया.
हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन चुनाव के बाद माकपा महासचिव प्रकाश करात के बयान कि पंचायत चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत धांधली व रिगिंग के बदौलत ही होगी. इस बयान ने यह संकेत दिया है कि मोरचा ने चुनाव परिणाम के पहले ही मान चुका है कि चुनाव परिणाम उनके पक्ष में नहीं होगा. वहीं, तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के बयान से साफ है कि विधानसभा चुनाव के बाद तृणमूल कांग्रेस पंचायत चुनाव में एक बड़ी जीत के प्रति आशान्वित है. इस जीत के माध्यम से तृणमूल कांग्रेस फिर से राज्य में अपनी पकड़ का दावा करेगी. बहरहाल लोकसभा चुनाव के पहले चुनाव परिणाम जीतनेवाले दल को नैतिक साहस व उत्साह देगा, वहीं हारनेवाली पार्टी को फिर से नये चुनाव के लिए कमर कसनी होगी.