कोलकाता: सारधा घोटाले में राज्य के पूर्व डीजीपी (सशस्त्र पुलिस) रजत मजूमदार, ईस्ट बंगाल क्लब के शीर्ष अधिकारी देबब्रत सरकार, व्यापारी संधीर अग्रवाल सहित छह अन्य की न्यायिक हिरासत 26 सितंबर तक अलीपुर अदालत ने बढ़ा दी.
अलीपुर कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हाराधन मुखर्जी के कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान मजूमदार के वकील र्तीथकर राय ने बताया कि सीबीआइ द्वारा पूछताछ से दबाव में आकर असम के पूर्व डीजी शंकर बरुआ को जान देनी पड़ी. इसी तरह सीबीआइ उनके मुअक्किल को भी मानसिक दबाव दे रही है.
इसके कारण राज्य के पूर्व डीजी को जमानत पर रिहा किया जाय. इसके विरोध में सीबीआइ के वकील पार्थ सारथी दत्त ने बताया कि सीबीआइ ने अब तक रजत मजुमदार से पूछताछ में कई सबूत जुटाये है. वह सारधा कंपनी से सीधे जुड़े थे और सलाह देने का काम करते थे.
इसके कारण षड़यंत्र रचने के लिए उन्हें भी गुनाहगार माना जायेगा. रजत को जमानत पर रिहा किया गया तो जांच से जुड़े सबूत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जायेगी. इन बातों को सुनते हुए अदालत ने रजत को 26 सितंबर तक जेल हिरासत में भेज दिया. वहीं इसके साथ इस मामले में गिरफ्तार संधीर अग्रवाल के अलावा इस्ट बंगाल के पूर्व अधिकारी देबब्रत सरकार सहित अन्य आरोयिों को भी अदालत ने 26 सितंबर तक जेल हिरासत में भेज दिया. जेल हिरासत में भेजने की खबर के बाद रजत को अलीपुर जेल में भेजा गया. जहां तीन नंबर सेल में उन्हें रखा गया था. इसी सेल के ऊपरी तल्ले में सुदीप्त सेन रहते हैं. पहले दिन जेल में रजत को चावल देल व मिक्स सब्जी दी गयी. जिसे देख उन्होंने मुंह फेर लिया.