पार्टी समर्थकों को भी नहीं मिल रही रिहाई रंगदारी से
आसनसोल : तृणमूल कांग्रेस समर्थक होना ही ठेकेदार असीम मुखर्जी की मौत का कारण बन गया. उसका कहना था कि वह भी तृणमूल का ही समर्थक है तो वह किसी अन्य पार्टी नेता को रंगदारी का भुगतान क्यों करेगा? इसी को लेकर काफी पहले से उसमें और केकेएससी नेता केदार पाल के बीच विवाद चल रहा था. इसका परिणाम शनिवार को सामने आया.
आसनसोल दक्षिण थाना क्षेत्र के आसनसोल ग्राम निवासी सह आसनसोल नगर निगम के पूर्व कर्मी दीपक मुखर्जी के तीन पुत्रों में से मंझला पुत्र असीम मुखर्जी इसीएल में ठेकेदार के रूप में कार्य करता था. उसे केंदा एरिया के सीएल जामबाद कोलियरी में रख-रखाव का कार्य मिला था.
असीम के बड़े भाई अजय मुखर्जी है और छोटा भाई अनूप मुखर्जी आसनसोल कोर्ट का अधिवक्ता है. चार वर्ष पूर्व असीम का विवाह बांकुड़ा जिले के मेजिया थाना क्षेत्र के भुलुई ग्राम निवासी हराधन नायक की पुत्री चिन्मई के साथ हुआ था. तीन वर्ष का पुत्र हैं.
असीम इसीएल की विभिन्न कोलियरियों में टेंडर के माध्यम से बीते 20 वर्षो से रख-रखाव समेत अन्य तरह के कार्य का ठेका लेता था. वह सामाजिक जीवन में काफी सक्रिय रहता था तथा राजनीति में तृणमूल का समर्थक था. यही कारण है कि वह पार्टी के किसी नेता को रंगदारी देने के पक्ष में नहीं था.
असीम के चचेरे भाई अक्षय मुखर्जी व अधिवक्ता छोटे भाई अनूप मुखर्जी ने कहा कि बीते कई दिनों से स्थानीय केकेएससी नेता केदार उसके भाई असीम से ठेके के कार्य का बिल पास करने को लेकर रंगदारी की मांग करता था. रुपये नहीं देने के कारण उसने शनिवार की सुबह असीम पर हमला किया. उन्होंने आरोप लगाया कि असीम के सर समेत पूरे शरीर में चोट है और कपड़े भी फटे हुए थे. इससे साफ है कि उसे बेदर्दी से पीटा गया हैं. चचेरे भाई श्री मुखर्जी ने कहा पुलिस असीम के शव को अंडाल थाना ले गयी, वहां पहुंच कर उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करायी.
पांच लाख का प्रलोभन मामला सलटाने को
मृतक असीम के भाई अक्षय मुखर्जी ने कहा कि घटना की सूचना मिलने के बाद वे अपने अन्य भाइयों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. असीम की बर्बर पिटाई के कारण सभी में रोष था. भाई तृणमूल समर्थक था. इसके बावजूद स्थानीय तृणमूल नेता हत्यारे के पक्ष में सक्रि य नजर आये.
उन्होंने कहा कि स्थानीय नेता संदीप सरकार वहां मौजूद थे. उन्होंने उनके परिजनों के साथ खड़े होने के बजाय हत्यारे का समर्थन शुरू किया. उन्होंने खुलेआम उन्हें पांच लाख रुपये देने की पेशकश करते हुए कहा कि वे लोग हत्या की प्राथमिकी दर्ज न कराये. उनका कहना था कि पार्टी नेता पुलिस व मीडिया को संभाल लेंगे. इसकी सूचना मिलते ही वहां मौजूद लोग उत्तेजित हो गये तथा उन्हें वहां से भगा दिया. इधर श्री सरकार ने कहा कि उनका इस मामले से कुछ लेना-देना नहीं है. उनके खिलाफ झूठा आरोप लगाया गया है. पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है.
मामले की जांच हो रही है. वे किसी को पैसे का प्रलोभन क्यों देंगे? अक्षय ने कहा कि पार्टी नेता के इस दावे के अनुरूप कई खबरिया चैनलों में यह खबर भी चलने लगी कि उनका भाई बीमार था तथा मामूली धक्के से गिर गया. हॉर्ट अटैक होने से उसकी मौत हो गयी. इससे उनके परिजनों को काफी सदमा लगा तथा कुछ समय के लिए उन्होंने मीडिया से खुद को दूर ही रखा.
जिला अस्पताल पहुंचे शहर के अधिवक्ताओं ने भी इस घटना पर गहरा आक्रोश जताया. उन्होंने कहा कि सभ्य समाज में इस तरह की घटनाओं को किसी भी स्तर पर बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए. दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.