लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज होगी भारतीय सेना की बहादुरी
कोलकाता : भारतीय सेना के जवानों ने एक और कारनामा करके दिखाया है, जो लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज होगा. उन्होंने भारत-चीन सीमा पर ग्रेट हिमालयन रेंज में लगभग 14 हजार फीट की ऊंचाई पर शून्य डिग्री तापमान व ओले के साथ हो रही वर्षा व भयावह परिस्थिति में 700 किलोमीटर साइकिलिंग का रिकार्ड बनाया है.
भारतीय सेना की स्ट्राइकिंग लायन डिवीजन, कालिंपोंग के कैप्टन नवजोत ठाकुर के नेतृत्व में सेना की इस टीम ने एक ऐसे रास्ते पर सफर किया, जहां आज से पहले शायद ही किसी ने साइकिल से यात्रा का साहस किया है.
रिकार्ड बना कर लौटे लाइटिंग स्ट्रीक्स बटालियन के उन आठ बहादुर सिपाहियों का सेना के आला अधिकारियों ने सुकना स्थित त्रि-शक्ति कोर हेडक्वार्टर में गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. इस अभियान की शुरूआत 30 जून को खांगजाकमा से हुई थी, जहां से तीस्ता नदी की उत्पत्ति हुई है. तीन सप्ताह तक चले इस अभियान में सेना की इस टीम ने आठ महत्वपूर्ण पहाड़ी दर्रो का सफर किया, जिसमें आज तक किसी वाहन ने कदम नहीं रखा है.
अपने इस सफर के बारे में कैप्टन ठाकुर ने बताया कि कई स्थान तो इतने दुर्गम थे कि हमें अपनी साइकिल अपने कंधों पर उठा कर बर्फीले रास्ते पर पैदल ही चलना पड़ता था.
बर्फीले तापमान एवं बारिश ने हमारे काम को और भी कठिन कर दिया था, पर हमें पता था कि हम इन परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं. इसके लिए हम लोगों ने जबरदस्त प्रशिक्षण किया था. अभियान के लिए चयनित मार्ग पर्वत साइकिल चालन के लिए शायद देश में ही नहीं, बल्कि सारी दुनिया में सबसे मुश्किल मार्ग था. लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ने अपने रिकॉर्ड में हमारे अभियान को दर्ज करने के लिए हम लोगों से संपर्क किया है.