कोलकाता: केंद्र में प्रस्तावित मोदी सरकार के साथ रिश्ते को लेकर तृणमूल कांग्रेस में मंथन शुरू हो गया है. देश के प्रस्तावित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से राज्य में ममता बनर्जी की सरकार से अच्छे रिश्ते रखने के बयान आने के बाद से तृणमूल कांग्रेस में यह मंथन और भी तेज हो गया है.
उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी ने अपने एक बयान में कहा है कि केंद्र सरकार राज्य सरकार से कटु संबंध रखने के पक्ष में नहीं है, वरन राज्य सरकार से वे लोग सहयोग करने के पक्ष में है. पिछले तीन वर्षो में जिन मांगों को यूपीए सरकार ने पूरा नहीं किया है, वे लोग उसे पूरा करने के लिए तत्पर है. श्री मोदी के इस बयान के बाद मोदी सरकार से रिश्ते को लेकर तृणमूल में मंथन शुरू हो गया है.
उल्लेखनीय है कि चुनाव प्रचार के दौरान मोदी व ममता ने एक दूसरे पर जबरदस्त राजनीतिक हमला बोला था तथा एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाये थे. केंद्र में भाजपा की बहुमत के बाद इन राजनीतिक हमलों का असर आपसी रिश्ते पर भी दिखने लगे थे. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता द्वारा मोदी को बधाई देने के बावजूद ममता बनर्जी ने अभी तक मोदी को कोई बधाई संदेश नहीं भेजा है, हालांकि जीत के बाद अपने संवाददाता सम्मेलन में मोदी को लेकर सुश्री बनर्जी ने कोई कटु टिप्पणी भी नहीं की थी. ऐसी स्थिति में मोदी ने जब खुद पहल की है, तो तृणमूल में मंथन शुरू हो गया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता व सांसद सौगत राय का इस संबंध में कहना है कि मोदी सरकार जब काम करने लगेगी, तो वे लोग विरोध में होंगे, लेकिन शुरू में ही मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करना ठीक नहीं होगा. इस संबंध में लोकसभा में तृणमूल संसदीय दल के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने कोई टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि इस संबंध में वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. पार्टी इस संबंध में निर्णय लेगी कि पार्टी की क्या रणनीति होगी.
तृणमूल के कई शीर्ष नेता अच्छे संबंध के पक्ष में
पार्टी के कई वरिष्ठ नेता स्वीकार करते हैं कि वर्तमान स्थिति में जब केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार है और वर्तमान संघीय व्यवस्था के तहत राज्य सरकारों को केंद्र सरकार पर आश्रित रहना पड़ता है. प्रशासनिक रूप से मोदी सरकार से कटु रिश्ते रखना राज्य सरकार के हित में नहीं होगा. इस बीच पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल राय सोमवार की शाम दिल्ली गये. वहां वह अन्य दलों के नेताओं से मुलाकात करेंगे.