कोलकाता: राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र ने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करती है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मामले की जांच में हर प्रकार का मदद करेगी. हालांकि उन्होंने यह दावा करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने कमीशन का गठन कर अब तक चार लाख सारधा पीड़ितों को मुआवजा दे दिया है और ढाई लाख लोगों का चेक बन कर तैयार हो गया है.
लेकिन मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (एमसीसी) के कारण राज्य सरकार इसे सही प्रकार से लागू नहीं कर पायी. चुनाव के बाद इन ढाई लाख लोगों को राज्य सरकार द्वारा मुआवजा राशि प्रदान की जायेगी. वह सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का स्वागत करते हैं. हालांकि, यह लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के ठीक दो दिन पहले आया है. नंदीग्राम और निताई गांव में हुए नरसंहार मामले में केंद्रीय एजेंसी के किसी नतीजे तक नहीं पहुंचने को आधार बनाकर शुरुआत में जांच में सीबीआइ को शामिल करने से अनिच्छुक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह कहते हुए अपना रुख बदला कि सरकार इसके खिलाफ नहीं है.
अमित मित्र ने मांग कीकि सीबीआई राज्य के अलावा देश भर में संचालित सभी चिटफंड कंपनियों की जांच करे. उन्होंने कहा कि हालांकि, सीबीआई को निताई और नंदीग्राम मामले में कोई सुराग नहीं मिला है. पर सरकार को उम्मीद है कि केंद्रीय एजेंसी इस बार नतीजे के साथ आयेगी और धोखाधड़ी के शिकार जमाकर्ताओं को मेहनत से कमाया गया पैसा मिल सकेगा. यह उल्लेख करते हुए खुशी हो रही है कि उच्चतम न्यायालय ने सारधा मामले में राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) के अब तक के काम की सराहना की है. हालांकि अभी तक फैसला नहीं आया है. शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि एसआइटी अपने तरफ से दाखिल सभी आरोप पत्रों पर अपनी जांच जारी रखेगी.
यह दिखाता है कि न्यायालय ने राज्य द्वारा गठित संस्था के प्रति अपना भरोसा व्यक्त किया है. मित्र ने कहा कि सीबीआइ को सारधा के साथ माकपा के तार की जांच करनी चाहिए. ऐसा इसलिए कि इस तरह की फरजी कंपनियों और योजनाओं का बीज पूर्व वाम मोरचा सरकार के दौरान ही बोया गया. उन्होंने कहा : मैंने विधानसभा में तसवीरें पेश की, जिसमें दिखाया गया कि माकपा के कई नेताओं ने सारधा ग्रुप प्रवर्तित परियोजनाओं का शुभारंभ किया. इसी तरह वाम शासन के दौरान संचयिता घोटाला सामने आया था. एक आयोग बनाया गया, लेकिन इसका क्या हुआ.