सिलीगुड़ी में पड़ रही है तेज गरमी, तापमान 36 डिग्री पहुंचा
सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी शहर सहित पूरा उत्तर बंगाल इन दिनों भीषण गरमी की चपेट में है और आने वाले कुछ दिनों तक इसमें राहत मिलने की कोई संभावना नहीं है. मौसम विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार अगले कुछ दिनों तक यही स्थिति बनी रहेगी. आने वाले दिनों में तापमान और भी बढ़ने की संभावना है. सिलीगुड़ी में पिछले कुछ दिनों से तापमान 35 से से 36 डिग्री सेल्सियस तक है. इसके कारण यहां के लोग गरमी से काफी परेशान हैं.
लोग अपने-अपने घरों से नहीं निकल पा रहे हैं. मौसम में काफी उमस भी है. सिलीगुड़ी शहर ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर बंगाल में यही स्थिति है. आम तौर पर ठ़डा रहने वाला दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र भी मौसम की इस मार से अछूता नहीं है. दाजिर्लिंग,कालिम्पोंग, कर्सियांग तथा मिरिक आदि जैसे पर्वतीय क्षेत्र में तापमान बढ़ने की संभावना है. मौसम विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार दाजिर्लिंग शहर में आज दिन का तापतान करीब 32 डिग्री सेल्सियम था.
दूसरी तरफ कालिम्पोंग में दाजिर्लिंग के मुकाबले अधिक तापमान है. यहां का तापमान कल 35 डिग्री सेल्सियस था. आने वाले दिनों में इसके 36 डिग्री के भी पार हो जाने की संभावना मौसम विभाग ने की है. सिलीगुड़ी में बढ़ती गरमी को देखते हुए सिलीगुड़ी नगर निगम ने खुले में बिकने वाली खाद्य सामग्रियों की बिक्री पर नकेल लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. नगर निगम के खाद्य निरीक्षक गणोश भट्टाचार्य द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार नगर निगम ने इस दिशा में कार्यवाही शुरू दिया है.ठेले वालों और खोमचे वालों पर खास नजर रखी जा रही है. उन्होंने आगे कहा कि गरमी में मौसमी बीमारी की आशंका बढ़ जाती है खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थो से संक्रमण की आशंका और बढ़ जाती है. इसलिए इस दिशा में कार्यवाही की जा रही है.
आज सिलीगुड़ी में कई स्थानों पर ठंडा पानी,कटा फल आदि बेचन वाले ठेलों पर अभिायान चलाया गया और स्वच्छता के प्रति सजग किया गया. इस बीच, भयंकर गरमी के कारण एक तरह से यहां के चाय बगानों की भी शामत आ गयी है. भीषण गरमी के पीछे का मुख्य कारण पिछले कई महीनों से यहां बारिश नहीं होना भी है. आने वाले दिनों में भी दूर-दूर तक बारिश की कोई संभावना नहीं है.इसका सीधा असर चाय की फसल पर पड़ा है. उत्तर बंगाल तथा दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र में स्थित सभी बागानों में चाय के उत्पादन में कमी की आशंका है. खास कर फर्स्ट फ्लश चाय पर तो इसका काफी असर पड़ रहा है.फर्स्ट फ्लश चाय उसे कहते हैं जो पहली बारिश के बाद तोड़ी जाती है. आमतौर पर जनवरी या फिर फरवरी महीने में पहली बारिश के बाद फर्स्ट फ्लश चाय की पत्तियां तोड़ी जाती है. लेकिन इस वर्ष नवंबर के बाद से ही यहां बारिश का दर्शन नहीं है. इसका सीधा सा असर फर्स्ट फ्लश चाय की पत्तियों पर पड़ा है.
यदि और कुछ दिनों तक बारिश नहीं हुयी तो फर्स्ट फ्लश चाय को गया ही समझो. चाय ब्यवसायियों से मिली जानकारी के अनुसार फर्स्ट फ्लश चाय की मांग विदेशों में काफी होती है. इसलिए फर्स्ट फ्लश चाय का अधिकांश हिस्से का निर्यात हो जाता है. स्वभाविक है यदि इस चाय का उत्पादन कम होता है तो इसका सीधा असर निर्यात पर पड़ेगा. क्योंकि मौसम की मार के कारण इस वर्ष फर्स्ट फ्लश चाय का उत्पादन 40 से 50 प्रतिशत तक कम होने की संभावना है. जहां तक डुवार्स और तराई के चाय बगानों का सवाल है तों यहां भी यही स्थिति है. इन चाय बगानों के हालात भी खराब हैं. बारिश नहीं होने के कारण चाय के पत्ते मुरझाने लगे हैं. इसका सीधा असर बाजार पर पड़ेगा. उन्होंने चाय पत्तियों की कीमत में बेतहाशा वृद्धि की भी आशंका जतायी.