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Caste Census: यूपी में गरमाएगा जातिगत जनगणना का मुद्दा, सपा आंदोलन की तैयारी में, इन्हें मिलेगी जिम्मेदारी…

स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस को लेकर लगातार हमलावर हैं. वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कहा है कि भाजपा के लोग दलित और पिछड़ों को शूद्र मानते हैं. इससे सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है. सपा बिहार की तरह यूपी में जातिगत जनगणना को लेकर अभियान शुरू करने की तैयारी में है.

Bareilly: बिहार के बाद यूपी में भी जातिगत जनगणना का मुद्दा गरमाने की तैयारी है. सपा जातिगत जनगणना के मुद्दे पर यूपी में आंदोलन करने की योजना पर काम कर रही है. इसके लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी गई है. क्योंकि, बिहार में 7 जनवरी से जातिगत जनगणना शुरू हो चुकी है. यहां दो चरणों में जातिगत जनगणना होगी. पहले चरण में 7 जनवरी से 21 जनवरी तक, वहीं दूसरे चरण में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक नीतीश सरकार जातिगत जनगणना करा रही है.

उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां 234 से अधिक पिछड़ी जातियां हैं. मगर, इसमें ओबीसी जातियों की आबादी में यादव, कुर्मी, मौर्य, किसान और साहू हैं. इनको 27 फीसदी आरक्षण मिलता है. मगर, पिछड़ी जातियों की आबादी बढ़ने के कारण इन्हें 27 फीसदी से भी अधिक ओबीसी आरक्षण मिलने की उम्मीद है.

इसीलिए यूपी में बार-बार जातिगत जनगणना की मांग उठ रही है. वहीं अब लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सपा ने जातिगत जनगणना की मांग को लेकर यूपी में आंदोलन का मन बनाया है. इसके पीछे अखिलेश यादव के साथ उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव की रणनीति है.

पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस को लेकर लगातार हमलावर हैं. वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कहा है कि भाजपा के लोग दलित और पिछड़ों को शूद्र मानते हैं. इससे सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है. सपा बिहार की तरह यूपी में जातिगत जनगणना को लेकर अभियान शुरू करने की तैयारी में है.

इसकी जिम्मेदारी स्वामी प्रसाद मौर्य को देने की उम्मीद जताई जा रही है, जिसके चलते स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव भी बनाया गया है. देश में वर्ष 1931 तक जातिगत जनगणना होती थी. मगर, वर्ष 1941 में जाति आधारित डाटा एकत्र किया गया. लेकिन, जारी नहीं किया गया. देश में वर्ष 1951 से वर्ष 2011 तक जनगणना में एससी और एसटी जातियों का डाटा एकत्र कर जारी किया जाता है. मगर, अन्य जातियों का डाटा जारी नहीं किया जाता है.

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1990 में लागू हुई मंडल कमीशन की सिफारिश

केंद्र की तत्कालीन विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार ने वर्ष 1990 में दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग यानी मंडल आयोग बनाया. इसकी सिफारिशों को वर्ष 1990 में लागू किया था. मंडल कमीशन के आंकड़ों के आधार पर भारत में ओबीसी आबादी 52 फीसदी मानी गई थी. मगर, इसमें भी वर्ष 1929 की जनगणना को आधार माना गया था. लेकिन, इसके बाद ओबीसी आबादी को लेकर कोई ठोस संख्या नहीं उपलब्ध है.

जातिगत जनगणना से क्यों बचती हैं सरकार

देश में लंबे समय से ओबीसी नेता जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं. मगर, केंद्र और राज्य सरकार जातिगत जनगणना से खुद को बचाती आई है. माना जाता है कि ओबीसी की जनगणना अधिक होने पर आरक्षण की मांग भी अधिक होगी और जनसंख्या कम होने पर जातिगत जनगणना सही से नहीं होने की बात को लेकर हंगामा होगा.

एससी में शामिल होंगी 18 ओबीसी जातियां

यूपी की 18 ओबीसी जातियां काफी समय से एससी में शामिल होने की कोशिश में हैं. इसके लिए हाईकोर्ट फैसला भी कर चुका है. ओबीसी को एससी में शामिल करने के लिए नोटिफिकेशन जारी हुआ था. इसमें मझवार, कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमान, बाथम, तुरहा गोडिया, मांझी और मछुआ शामिल हैं.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद बरेली

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