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Ayodhya Masjid: अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए IICF ने पहली बार की वित्तीय सहयोग की अपील

फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन ने बताया कि संस्था के अध्यक्ष जुफर फारुकी की अगुवाई में पांच सदस्यीय दल ने पिछली 12 अगस्त को फर्रुखाबाद जाकर पहली बार अयोध्या में मस्जिद तथा अन्य जन सुविधाओं के निर्माण के लिए चंदा देने की अपील की.

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य में तेजी के बीच धन्नीपुर में मस्जिद के निर्माण के लिए गठित इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) अधिक वित्तीय सहयोग जुटाने के वास्ते पहली बार बाकायदा कार्य योजना तैयार कर रहा है. उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर अयोध्या के धन्नीपुर गांव में मुसलमानों को दी गई पांच एकड़ जमीन पर आईआईसीएफ एक मस्जिद के साथ-साथ, अस्पताल, पुस्तकालय, सामुदायिक रसोई और शोध संस्थान का निर्माण कराएगा.

निर्माण के लिए 1 करोड़ रुपए जुटाने का वादा

फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि संस्था के अध्यक्ष जुफर फारुकी की अगुवाई में पांच सदस्यीय दल ने पिछली 12 अगस्त को फर्रुखाबाद जाकर पहली बार अयोध्या में मस्जिद तथा अन्य जन सुविधाओं के निर्माण के लिए चंदा देने की अपील की. उन्होंने कहा कि इस दौरान मौजूद लोगों ने मस्जिद के निर्माण के लिए एक करोड़ रुपए जुटाने का वादा किया और उसी वक्त बारकोड के जरिए डिजिटल तरीके से करीब ढाई लाख रुपए इकट्ठा भी हो गए. उन्होंने कहा कि इससे पहले फाउंडेशन ने बिना किसी बड़े अभियान के 25 लाख रुपए इकट्ठे कर लिए हैं.

जल्द होगा निर्माण कार्य शुरू

हुसैन ने कहा कि उम्मीद है कि एक महीने के अंदर मस्जिद तथा अन्य इमारतों का नक्शा अयोध्या विकास प्राधिकरण से हासिल कर लिया जाएगा और नक्शा मिलते ही बाकी रकम से निर्माण का काम शुरू कर दिया जाएगा. हुसैन ने बताया कि सबसे पहले अस्पताल का निर्माण करके ओपीडी शुरू कर दी जाएगी और अगर संभव हुआ तो साथ ही साथ धन्नीपुर की बहुप्रतीक्षित मस्जिद का फर्श तैयार कर वहां नमाज का सिलसिला भी शुरू कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि मस्जिद का निर्माण 15 हजार वर्ग फुट क्षेत्र में होगा और उसका कवर्ड एरिया 10 हजार वर्ग फुट रहेगा.

वित्तीय सहयोग के लिए बनेंगे रूट मैप

हुसैन ने आगे बताया, गत 12 अगस्त को फर्रुखाबाद में शहर के कई बड़े कारोबारियों, सेवानिवृत्त अधिकारियों और कुछ खानकाहों के पदाधिकारियों ने परियोजना के लिए रकम जुटाने का कार्यक्रम आयोजित किया था. इसी तरह महाराष्ट्र में मुंबई और गुजरात, मध्य प्रदेश तथा बिहार के विभिन्न जिलों से भी लोग फाउंडेशन की टीम को बुला रहे हैं. हम लोग अब अपना रूट मैप बना रहे हैं ताकि इन सभी जगहों पर पहुंचा जाए.

गैर मुस्लिमानों ने भी दिया चंदा

आईआईसीएफ के सचिव ने कहा, हमारा मानना है कि फाउंडेशन को लेकर ढाई साल पहले मुसलमानों की जो राय थी वह अब काफी हद तक बदल चुकी है और लोग अब उस पर भरोसा कर रहे हैं. यह भरोसा काफी मजबूत हुआ है, न सिर्फ मुस्लिम समाज में बल्कि अन्य वर्गों में भी. शुरू में गैर मुस्लिम समाज के लोगों ने फाउंडेशन को काफी चंदा दिया लेकिन अब मुसलमानों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने में दिलचस्पी दिखानी शुरू की है.

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2019 में SC ने सुनाया था फैसला

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या के राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद मामले में नौ नवंबर 2019 को सुनाये गए ऐतिहासिक फैसले में विवादित स्थल को राम जन्मभूमि मानते हुए वहां मंदिर का निर्माण कराने और मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या के किसी अन्य प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था. इसके बाद प्रशासन ने मुस्लिम पक्ष को अयोध्या की सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में जमीन दी थी. इसके निर्माण के लिए इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन का गठन किया गया है. फाउंडेशन ने दी गई जमीन पर मस्जिद के साथ-साथ एक शोध संस्थान, अस्पताल, पुस्तकालय और सामुदायिक रसोई बनाने का ऐलान किया था.

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