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मुलायम बेटे अखिलेश के भरोसे नहीं उतरेंगे चुनावी जंग में

उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी उम्मीदवारों के नाम तय करने को लेकर मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी में मचा तूफान बहुत आसानी से शांत होता नहीं दिख रहा. इसका चुनावी नफा-नुकसान जो भी हो, फिलहाल पार्टी गहरे अंदरूनी संकट से गुजर रही है. पूरी लड़ाई की धुरी चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव […]

उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी उम्मीदवारों के नाम तय करने को लेकर मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी में मचा तूफान बहुत आसानी से शांत होता नहीं दिख रहा. इसका चुनावी नफा-नुकसान जो भी हो, फिलहाल पार्टी गहरे अंदरूनी संकट से गुजर रही है. पूरी लड़ाई की धुरी चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव हैं. दोनों की नजर मुख्यमंत्री की कुरसी पर है. मुलायम सिंह इनमें से किसी को छोड़ कर नहीं चल सकते, यह उनकी मजबूरी है. यह मजबूरी सियासी भी है. दोनों का अपना राजनीतिक वजूद है आैर उनमें से किसी की भी गंभीर नाराजगी पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है.

मुलायम सिंह यादव पार्टी की ओर से अगले मुख्यमंत्री के नाम का एलान नहीं कर सकते. चुनाव के बाद विधायक दल अपना नेता चुनेगा. जाहिर है, मुख्यमंत्री की कुरसी दुबारा पाने के लिए अखिलेश यादव को अपने भरोसे के ज्यादा-से-ज्यादा उम्मीदवार चुनाव में उतारने होंगे. दूसरी ओर, पार्टी में चाचा शिवपाल का कद छोटा करने के लिए उनके उम्मीदवारों की राह रोकनी होगी. इस बात को दोनों समझ रहे हैं आैर राजनीतिक गोटियां चल रहे हैं.

2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को राज्य विधानसभा की 403 में से 226 सीटें मिली थीं. मुलायम सिंह ने बुधवार को 325 सीटों के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी की. इनमें 176 सीटें वे हैं, जिन पर सपा के विधायक हैं. की बचीं 78 सीटें, जिनमें 50 मौजूदा विधायकों की भी सीटें शामिल हैं.

जारी सूची में अखिलेश समर्थक विधायकों-मंत्रियों के टिकट का कटना और न केवल गायत्री प्रसाद प्रजापति, बल्कि सिगबतुल्लाह को भी टिकट मिलने से साफ है कि पार्टी के भीतर अखिलेश की पकड़ ढीली पड़ रही है. गायत्री प्रसाद प्रजापति केमले मेें अखिलेश को पहले भी मुंह की खानी पड़ी थी. प्रजापति को उन्हें कुछ अन्य विधायकों को भ्रष्टाचार के आधार पर मंत्रिमंडल से हटा दिया था, मगर उनकी वापसी नहीं रोक सके थे. सिगबतुल्लाह उसी कौमी एकता दल के मुखिया मुख्तार अंसारी का भाई है, जिसका विलय सपा में होने से उन्होंने रोक दिया था. अंसारी की छवि डॉन की है और उन पर भाजपा विधायक कृष्णनंदन राय के कत्ल सहित 15 संगीन मुकदमे दर्ज है. ये दोनों नेता चाचा शिवपाल के लोग हैं.

दूसरी ओर अखिलेश के तीन भरोसेमंद मंत्री पवन पांडेय, अरविंद गोप और रामगोविंद चौधरी के भी टिकट काट दिये गये हैं. अखिलेश ने पिछले दिनों 367 नामों की सूची अपनी ओर से सार्वजनिक की थ, जिनमें इन तीनों के नाम थे.

यह बात दीगर है कि अखिलेश ने मुलायम सिंह द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूची पर एतराज जताया और संदीप शुक्ला को टिकट देने पर उन्हें एवं उनकी राज्यमंत्री पत्नी सुरभि शुल्का को बरखास्त कर दिया. उन्होंने अपने समर्थक मंत्रियों और विधायकों के साथ आज बैठक भी की, मगर इतना तो साफ है कि इस मुलायम सिंह यादव अखिलेश की बदौलत या शिवपाल की नाराजगी लेकर चुनाव में उतरने काे तैयार नहीं है.

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