।।राजेन्द्र कुमार।।
केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री जितिन प्रसाद ने बुधवार को इस आयोजन को लेकर पत्रकारों से वार्ता की. उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा देश की पहचान है और सबसे पुरानी भाषा है. इसे भाषाओं की जननी कहा जाता है, इसलिए इसके प्रचार प्रसार की अति आवश्यकता है. जितिन प्रसाद राष्ट्रीय सांस्कृत संस्थान की ओर से आधुनिक युग में संस्कृत का महत्व विषय पर आगामी 13 सितंबर से इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित होने वाले तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारियों के सिलसिले में यहां पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार चाहती है कि नई पीढ़ी संस्कृत के महत्व को जाने तथा संस्कृत को रोजगार की दिशा में आगे ले जाकर इसे बढ़ावा दिया जा सके. इसे अब संस्कृत को कंप्यूटर व विज्ञान से जोड़े जाने का प्रयास किया जाएगा.
जितिन प्रसाद के अनुसार लखनऊ में होने वाले इस सम्मेलन में केरल से कश्मीर तक के संस्कृत के विद्वानों को आमंत्रित किया गया है. कार्यक्रम में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, त्रिपुरा, हिमांचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू – कश्मीर में स्थित परिसरों में विपुल संख्या में प्राचार्य, प्राधाध्यापक व शोध छात्रों को आमंत्रित किया गया है. इसके लिए सांदीपन वेद विद्या प्रतिष्ठान द्वारा संचालित वेद पाठशालाओं के लगभग पांच सौ छात्र व वैदिक आचार्यों को आमंत्रित किया गया है. कार्यक्रम में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री एम एम पल्लम राजू तथा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष डा कर्ण सिंह उपस्थित रहेंगे.