।। राजेन्द्र कुमार ।।
लखनऊ: नवंबर में जब ठंड बढ़ेगी, तो मुमकिन है शासन के प्रमुख सचिव, सचिव और मंडल व जिलों में तैनात अफसरों के माथे पर पसीना नजर आए. दरअसल, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नवंबर से सरकारी योजनाओं और विकास कार्यक्रमों के मौके पर हुए कामकाज की प्रगति जानने का एक अभियान शुरू करने का मन बनाया है. इस अभियान के तहत यह अफसर चलों गांव की ओर अभियान के तहत माह में दो बार विभिन्न जिलों में जाकर मौके पर अपने विभागों से संबंधित योजनाओं का आकस्मिक निरीक्षण करेंगे.
यह अधिकारी गांव में एक रात भी गुजारेंगे और ग्रामीणों से उनकी समस्याओं की जानकारी प्राप्त कर उसे शासन को बताएंगे. ताकि सरकार को यह पता चल सके कि बीते डेढ़ वर्ष के दौरान किस विभाग का कार्य बेहतर रहा है और ग्रामीणों की किन समस्याओं का निदान अभी तक नहीं हो सका है.
सूबे के मुख्यमंत्री जहां अपनी इस योजना को लेकर खासे उत्साहित हैं, वही सूबे के नौकरशाह परेशान हैं क्योंकि इस कार्यक्रम के तहत उन्हें अपने एसी कमरों को छोड़कर गांवों में रात गुजरनी होगी. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने नौकरशाहों को गांव में भेजकर उनसे सरकारी योजनाओं की प्रगति का ब्यौरा लेने का यह प्रयोग नब्बे के दशक में शुरू किया था. पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और मायावती ने भी इसे अपनाया. अब अखिलेश यादव ने भी इसे लागू करने का निर्णय लिया है.
वास्तव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लोकसभा चुनावों की घोषणा होने के पूर्व जनता के बीच सरकार की मशीनरी को सक्रिय दिखाना चाहते हैं. इसकी दो वजहें भी हैं. एक तो चुनाव कार्यक्रम घोषित होते ही आचार संहिता लागू हो जाने के कारण राज्य में कई तकनीकी बंदिशें प्रभावी हो जाएगी. ऐसे में सरकारी अधिकारी विकास कार्यों की अपेक्षा चुनाव संबंधी कार्यों में अधिक व्यस्त हो जाएंगे और विकास योजनाओं को तेज करने का कार्य सुस्त पड़ जाएगा.
दूसरे, मुख्यमंत्री चाहते हैं कि विकास कार्यों में सुस्ती बरतने वाले अफसरों पर ज्यादा सख्ती बरतने से पहले उन्हें महीने-दो महीने सुधरने का मौका दिया जाए. ताकि किसी भी अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई किए जाने पर वैसा कोई विवाद ना हो, जैसा दुर्गा शक्ति नागपाल के मामले में हुआ.
इसीलिए सूबे के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी खुद ही अधिकारियों के चलों गांव की ओर का फुलप्रूफ कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं. ताकि सरकारी योजनाओं के बारे में पुख्ता फीडबैक सरकार को मिले और उसके आधार पर सरकार अपनी कार्य योजना तैयार करे. इसके तहत ही गांव में रात बिताने वाले अफसरों को विकास कार्यों की प्रगति और कानून व्यवस्था पर भी एक रिपोर्ट सरकार को सौपने का निर्देश दिया जाएगा. ताकि सरकार के विकास संबंधी एजेंडे को लोकसभा चुनावों के पूर्व तेज कर उसका लाभ लिया जा सके.
मुख्यमंत्री सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार हाल ही में तहसील दिवस पर मिली शिकायतों की समीक्षा के दौरान कई विभागों के अफसरों द्वारा सरकारी योजनाओं के अमल में लापरवाही बरते जाने की सच्चाई सामने आयी. जिसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने भी सरकारी योजनाओं का लाभ नीचे तक पहुंचाने के लिए इस प्रयोग को अपनाने का निर्णय लिया है. ताकि सरकारी योजनाओं की वास्तविक सूचनाएं जुटाकर योजनाओं की खामियों को दूर कर उसका लाभ आगामी लोकसभा चुनाव में लिया जा सके.
* इन विभागीय योजनाओं पर रहेगी नजर
चलों गांव की ओर अभियान के तहत दो दर्जन से अधिक सरकारी योजनाओं की प्रगति पर नजर रखनी होगी. इन योजनाओं को सरकार के विकास एजेंडे में रखा गया है. इसके तहत अधिकारियों को एक प्रोफार्म पर कृषि, गन्ना विकास, दुग्ध विकास, पशुधन, किसानों को खाद-बीज वितरण, गेहूं-धान खरीद, बिजली आपूर्ति, प्राथमिक शिक्षा, मिड डे मील, स्वास्थ्य सेवाएं, डॉ. लोहिया समग्र ग्राम्य विकास योजना, ग्रामीण पेयजल योजना, ग्रामीण सड़क योजना, लोहिया ग्रामीण आवास योजना, सिंचाई की व्यवस्था, बेरोजगारी भत्ता, कन्या विद्याधन, पेंशन योजनाएं, लैपटॉप वितरण, राजस्व संबंधी मामलों से संबंधित योजनाओं की प्रगति का ब्यौरा सरकार को देना होगा.