लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बदायूं में हाल में हुए बलात्कार-हत्याकांड मामले की सीबीआई से जांच कराने के आग्रह वाली जनहित याचिका पर आज सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है.
न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा और न्यायमूर्ति राजन रॉय की ग्रीष्मावकाशकालीन खण्डपीठ के समक्ष वी द पीपुल नामक संस्था की तरफ से दायर इस याचिका पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता प्रिंस लेनिन ने अदालत की एक नजीर पेश कर बदायूं कांड की तयशुदा समयसीमा में जांच पूरी करने के निर्देश सीबीआई को दिये जाने की गुजारिश की. साथ ही घटना की प्राथमिकी और बदायूं कांड की शिकार हुई किशोरियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रतियां भी दाखिल कीं.
उधर, राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने अदालत को बताया कि मीडिया में आयी खबरों के मुताबिक राज्य सरकार की ओर से सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी होने के बाद केंद्रीय एजेंसी ने बदायूं कांड की जांच स्वीकार कर ली है.
उन्होंने यह भी बताया कि मृतक किशोरियों के परिजन समेत गवाहों को भी पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करा दी गयी है और कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई भी की है. ऐसे में याचिका में मांगी गयी राहतें राज्य सरकार ने दे दी हैं, लिहाजा अब इस याचिका का कोई औचित्य नहीं है.बुलबुल ने अदालत के बाहर बताया कि राज्य सरकार खुद इस मामले को गम्भीरता से ले रही है और मृत किशोरियों के परिजन को मुआवजा देने की घोषणा भी की गयी है.