।। राजेन्द्र कुमार ।।
लखनऊ (रामपुर) : लखनऊ से रामपुर के रास्ते में कहीं भी किसी पार्टी का झंडा बैनर नजर नहीं आता, पर जैसे कार रामपुर शहर के भीतर पहुंचती है, सड़क के दोनों किनारों पर बने मकानों में आजम खान की फोटो वाले झंडे ही झंडे लगे दिखाई देते हैं.
समाजवादी पार्टी (सपा) का मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले आजम खान रामपुर को अपना शहर बताते हैं. अखिलेश सरकार में नगर विकास मंत्री आजम खान का दावा है कि अब इस शहर में उनकी तूती बोलती है, रामपुर के नबाब खानदान की नहीं. बीते चुनावों में मुलायम सिंह ने आजम खां की अनदेखी कर फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा को यहां से उम्मीदवार बनाया था. जिसे लेकर आजम खफा हो गए थे. यहां के प्रत्याशी चयन को लेकर दोबारा ऐसी घटना ना घटे, इसका ध्यान रखते हुए सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह ने इस बार आजम खान के करीबी नासिर अहमद खान को रामपुर संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतारा. नासिर ने अब कोई चुनाव नहीं लड़ा था. वह पहला चुनाव लड़ रहे हैं. अब ऐसे नासिर को यहां से चुनाव जिताना आजम खान की नाक का सवाल बन गया.
आजम खान अब नासिर को जिताने के लिए उन तमाम विरोधियों को भी अपने साथ ले आए हैं, जिन्हें कभी यह छिड़क चुके थे. एक हफ्ते पहले तक आजम खान का चुनाव प्रचार जोरशोर से चल रहा पर चुनाव आयोग द्वारा आजम खान के चुनाव प्रचार करने पर रोक लगाने से उसपर असर पड़ा है. अब आजम खान खुद चुनावी सभाओं को संबोधित नहीं कर पा रहे हैं. उनका लिखित बयान ही चुनावी सभाओं में पढ़ा जा रहा है. यहां हुई मुलायम सिंह की चुनावी सभा में भी आजम खान का लिखित बयान पढ़ा गया, आजम अपने हर बयान में रामपुर के नवाब परिवार और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को निशाने पर रखते हैं. वह कहते हैं नरेन्द्र मोदी कातिल है. मोदी को प्रधानमंत्री नहीं बनने देना है. आजम के ऐसे तेवरों से यह अंदाज हो जाता है कि रामपुर में चुनावी लड़ाई कांटे की है.
रामपुर के नवाब खानदान की बेगम नूरबानों ने अपने पुत्र नवाब काजिम अली उर्फ नवेद मियां के लिए यह सीट इस बार छोड़ी है. बेगम नूरबानों खुद मुरादाबाद संसदीय सीट से चुनाव लड़ रही है. नवाब काजिम अली पांच बार से स्वार टांडा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते हैं. भाजपा से डा. नैपाल सिंह और बसपा से हाजी अकबर मैदान में हैं. आम आदमी पार्टी से सलमान अली खां पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. उनका सियासी बैकग्राउंड नहीं है. कुल 12 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. जिनमें छह मुस्लिम हैं.
नवेद मिया के पिता जुल्फिकार अली खान रामपुर से पांच बार और मां बेगम नूर बानो दो बार सासंद रहीं. इसी जनाधार के बल पर नवेद सपा को चुनौती दे रहे हैं. आजम खान नवाब परिवार के विरोधी हैं. नवाब परिवार के लोग भी आजम खान को संसद नहीं करते. इन दोनों की ताकत का 52 फीसदी मुस्लिम मतदाता है. जिसके भरोसे यह दोनों एक दूसरे के खिलाफ तलवार ताने रहते है.
ऐसे दो कट्टर विरोधियों के बीच यहां चुनाव का क्या माहौल है? किसका जोर है? यह पूछने पर रामपुरी चाकू बनाने वाले 45 वर्षीय फिरोज कहते हैं कि यहां कांग्रेस का वोट चुप है. इस बार गावों में कमल का भी वोट है. आजम भाई अबकी नासिर को कंधे पर बिठाकर जिताने की कोशिश में हैं, देखिए अल्लाह को क्या मंजूर हो. वह नासिर को वोट देंगे या नहीं इसका खुलासा करने के बजाए फिरोज हैं कि यहां बसपा प्रत्याशी अकबर हुसैन चुनावी दौड़ में पीछे रह गए हैं. यहां बड़े-बड़े खिलाड़ी मैदान में है, ऐसे में अकबर और सलमान अली पर कौन ध्यान देगा. रामपुर में विकास और भ्रष्टाचार कोई मुददा नहीं है.
यहां आजम खान और नवाब खानदान की आपसी रंजिश और मोदी को चुनाव जिताना हराना ही चुनावी बहस का मुददा है. हिन्दूओं में मोदी की लहर है. शहर के कारोबारी विपिन मोदी को जिताने के लिए वर्मा नेपाल सिंह का समर्थन करने की बात कहते हैं. विपिन के मुताबिक विधानसभा में वह आजम खान को वोट देते आए हैं पर इस बार भाजपा के साथ कड़े होंगे क्योंकि आजम खान ने मोदी के खिलाफ गंदे शब्दों का इस्तेमाल किया है.
शहर में आजम खां के व्यवहार के चलते सरकार से नाखुशी जताने वालों की संख्या भी अधिक है. यहां जेल रोड़ पर बिजली के सामान की दुकान चलाने वाले सैयद खुर्शीद मियां कहते हैं, शहर में विकास तो हुआ है लेकिन कारोबार घट गया है. सड़कें चौड़ी हुई हैं लेकिन बेरोजगारी बढ़ गई है. यहां की लकड़ी मंडी सरकार और आजम खां की नजरें तिरछी होने से उजड़ गईं. अब नाराज मुसलमान कांग्रेस को भी वोट देगा. जिसका फायदा भाजपा को मिलेगा.
रामपुर में अवाम की समस्याओं की अनदेखी किए जाने को लेकर कपड़ा व्यापारी जाहिद हुसैन कहते हैं कि चुनाव में नेताओं को अवाम के मुद्दों की फक्रि कहां है? उन्हें सर्फि वोट चाहिए, पब्लिक की तरफ किसी का ध्यान नहीं है. वह मानते हैं कि मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है.
जावेद भी उनकी बात का समर्थन करते हुए नरेन्द्र मोदी की यहां हवा चलने का दावा भी करते हैं. ऐसे दावों के बीच यहां का चुनाव आजम खां की नाम का सवाल बन गया है क्योंकि बीते लोकसभा चुनावों में वह जयाप्रदा का विरोध करने के बाद भी उन्हें संसद पहुंचने से रोक नहीं पाए थे. ऐसे में अब यह देखना है कि मोदी लहर और नवाब खानदान के नवेद के चुनाव लड़ने के दौरान आजम खां अपने नजदीकी नासिर अहमद को संसद तक कैसे पहुंचाते हैं.
कुल मतदाता 15,78,951
पुरुष मतदाता 8,54,877
महिला मतदाता 723715
मतदान केंद्र 1574
यह हैं चुनाव मैदान में
नवाब काजिम अली ::: कांग्रेस
नासिर अहमद खां ::: सपा
अकबर हुसैन ::: बसपा
नेपाल सिंह :::: भाजपा
सलमान अली खां :::: आप