चक्रधरपुर : गुरुवार को शब-ए-बरात का त्योहार मनाया गया. इससे एक दिन पहले बुधवार को अरफा हुआ. जिन घरों में एक साल के दौरान किसी की मौत हुई थी, वहां बुधवार को अरफा हुआ, जिसमें घर के मुर्दों के हक में फातिहाख्वानी हुई तथा मगफिरत की दुआएं की गयीं. गुरुवार को शब-ए-बरात के अवसर पर […]
चक्रधरपुर : गुरुवार को शब-ए-बरात का त्योहार मनाया गया. इससे एक दिन पहले बुधवार को अरफा हुआ. जिन घरों में एक साल के दौरान किसी की मौत हुई थी, वहां बुधवार को अरफा हुआ, जिसमें घर के मुर्दों के हक में फातिहाख्वानी हुई तथा मगफिरत की दुआएं की गयीं. गुरुवार को शब-ए-बरात के अवसर पर मुसलमानों ने अपने घरों में विशेष पकवान हलवा, दोस्ती रोटी आदि तैयार कर फातिहा दिलाये. यह फातिहा हजरत अवैस करनी (र.) को पेश किया गया.
मगरिब नमाज के पहले से ही शब-ए-बरात की इबादतें शुरू हो गयी. मगरिब से पहले अस्सी साल के गुनाहों की बख्शीश के वजीफे पढ़े गये. कई मुसलमानों ने मगरिब नमाज के बाद सात बैर के पत्ते से गरम किये गये पानी से गुस्ल किये. यह माना जाता है कि इस तरह के गुस्ल से साल भर जादू टोना से इनसान बचा रहता है. इसके बाद पूरी रात जाग कर इबादतें की गयीं. खास तौर पर नफिल नमाजें अदा की गयीं. सलातो तसबीह, नमाज-ए-तौबा समेत अन्य कई तरह की नमाजें मुसलमानों ने अदा की. कुरआन की तिलावत की गयी. वजीफे पढ़े गये.
तीसरे पहर में कब्रिस्तान पहुंचने लगे लोग : रात के तीसरे पहर अर्थात दो बजे रात के बाद से ही लोगों का कब्रिस्तानों में जाने का सिलसिला शुरू हो गया. कब्रिस्तान में जाकर फातिहा पढ़ी गयी और मुर्दों के बख्शीश की दुआए की गयीं. बंगलाटांड मुसलिम कब्रिस्तान में सामूहिक दुआ की गयी. इसके अलावा पुरानी बस्ती कब्रिस्तान, पोटका कब्रिस्तान, देवगांव कब्रिस्तान, सिमिदीरी कब्रिस्तान, मंडलसाई कब्रिस्तान, आजादबस्ती कब्रिस्तान में भी फातिहाख्वानी की गयी.
शब-ए-बरात के अवसर पर सभी मसजिदों व कब्रिस्तानों को सजाया गया था. कब्रिस्तानों में विशेष प्रकाश की व्यवस्था कर रात में आने वालों के लिए सुविधा बहाल की गयी थी. मसजिद में रात जागने वाले सैकड़ों लोग एक साथ कब्रिस्तान गये और मुर्दों के हक में दुआएं किये. बड़ी संख्या में घरों पर भी महिलाएं रात भर जाग कर इबादत करती रहीं. शब-ए-बरात के दूसरे दिन रोजा रखने की बहुत फजीलतें हैं. इसलिए लोग रोजा भी रखे. किसी ने एक तो किसी ने दो रोजे रखे.