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ईद की नमाज से पहले अदा कर दे सदक-ए-फितर
चक्रधरपुर : इस वर्ष यदि 29 रोजे के बाद ईद का चांद दिखाई देता है तो 18 जुलाई को ईद मनायी जायेगी अन्यथा ईद 19 जुलाई को होगी. ईद मुसलमानों का सबसे बड़े त्योहार है. इस त्योहार को मनाने के लिए भी हदीसों में कई निर्देश प्राप्त हुए हैं, जिसका पालन किये बिना ईद पूरी […]
चक्रधरपुर : इस वर्ष यदि 29 रोजे के बाद ईद का चांद दिखाई देता है तो 18 जुलाई को ईद मनायी जायेगी अन्यथा ईद 19 जुलाई को होगी. ईद मुसलमानों का सबसे बड़े त्योहार है. इस त्योहार को मनाने के लिए भी हदीसों में कई निर्देश प्राप्त हुए हैं, जिसका पालन किये बिना ईद पूरी नहीं हो सकती.
सुन्नत के मुताबिक मनायें ईद
ईद के दिन किये जाने के लिए कई सुन्नत और मुसतहब काम है. जिसे हर मुसलमान को करने की कोशिश करनी चाहिए. ईद के दिन हजामत बनवायें. जुल्फें बनवायें लेकिन अंग्रेजी तर्ज के बाल नहीं बनवायें.
नाखून तराशें, गुस्ल करें अगरचे गुस्ल फर्ज ना हो तब भी, मिसवाक करें, यह मिसवाक वजू में किये जाने वाले मिसवाक से अलग करें, वजू में मिसवाक करना सुन्नत-ए-मोअक्कदा है. ईद के दिन अच्छे कपड़े पहनना चाहिए. नये कपड़े हों तो अच्छी बात है, नहीं होने पर धुले हुए कपड़े भी पहने जा सकते हैं. ईद के दिन खुशबू लगायें.
खुशबू लगाते वक्त इस बात का ख्याल रखें कि पाक अतर ही लगायें. स्प्रे सेंट नहीं लगायें यह नापाक होता है. चांदी की एक अंगूठी पहनें. अंगूठी का वजन साढ़े चार मासा से कम हो और उसमें एक से ज्यादा नगीना नहीं हो. नगीने की वजन की कोई कैद नहीं है. बगैर नगीने की अंगूठी भी पहन सकते हैं. ईद की सुबह फजर की नमाज मुहल्ले की मसजिद में अदा करें. ईद की नमाज पढ़ने जाने से पहले ताक खजूरें खा लें. तीन, पांच, सात खजूरें खा सकते हैं. खजूर नहीं रहने पर कोई मीठी चीज खा सकते हैं.
अगर नमाज से पहले कुछ नहीं खाया तो गुनाह नहीं होगा. ईद की नमाज ईदगाह में अदा करें, ईदगाह नहीं होने पर मसजिदों में पढ़ें. ईदगाह पैदल जायें. सवारी पर ईदगाह जाना हर्ज नहीं, लेकिन पैदल जाने की ताकत हो तो पैदल ही जायें. ईदगाह एक रास्ते से जायें और दूसरे रास्ता से वापस लौटें. ईद की नमाज से पहले सदक-ए-फितर अदा कर दें.
ईद के दिन खुशी का इजहार करें. कसरत से सदका दें. ईदगाह पूरे इतमीनान व वकार के साथ जायें, निगाहें नीचे रखें. ईद की नमाज के बाद मुसाफा व मुआनका करें, इससे मुसर्रत का इजहार होता है. ईदगाह जाते हुए धीमी आवाज से तकबीर पढ़ें. ईद-उल-अजहा की नमाज के लिए जाते वक्त बुलंद आवाज से तकबीर पढ़ने का हुक्म है.
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