डीसी ने चार प्रखंडों की समीक्षा में की घोषणा
जगन्नाथपुर : उपायुक्त अबुबकर सिद्दीख ने स्पष्ट कर दिया है कि मनरेगा के कार्य में कोताही अब किसी भी सूरज में सहन नहीं की जायेगी. काम नहीं करने वालों को वेतन नहीं दिया जायेगा. लापरवाह अधिकारी–कर्मचारियों पर सीधी कार्रवाई होगी. इसलिए काम नहीं करने वाले नौकरी छोड़कर जा सकते है.
उपायुक्त ने यह रुख शनिवार को जगन्नाथपुर में चार प्रखंडों की विकास योजनाओं की समीक्षा के क्रम में दिखा. जगन्नाथपुर, नोवामुंडी, हाटगम्हरिया व झींकपानी प्रखंडों के बीडीओ, प्रमुख, मुखिया, जिप सदस्य, पंचायत–रोजगार सेवक की मौजूदगी में उपायुक्त ने मनरेगा की खराब स्थिति पर नोवामुंडी बीडीओ को टारगेट पर रखा तो पंचायत व रोजगार सेवकों से स्पष्टीकरण मांगा है.
इस दौरान डीसी ने जगन्नाथपुर प्रखंड के डांगुवापोसी, जगन्नाथपुर, जैंतगढ़, मोगरा, मुन्डुई, पट्टाजैत के पंचायत व रोजगार सेवक का वेतन रोकने का आदेश दिया तो मुम्डई पंचायत सेवक विनोद पुरती को निलंबित करने का आदेश भी सुनाया. उपायुक्त ने मुखिया को भी सतर्क होकर काम करने की सलाह दी, चेताया की अगर चूक हुई तो वे जेल भी जा सकते है.
बैठक में एसपी पंकज कंबोज, डीडीसी बाल किशुन मुंडा, डीआरडीए निदेशक नुरुल होदा, मेसा पदाधिकारी बिरसाय उरांव, आपूर्ति पदाधिकारी राकेश रोशन, सीडीपीओ लक्ष्मी भारती,जिप सदस्य देवकी दास, लक्ष्मी सुरेन, सुधी सुंडी आदि उपस्थित थे.
किरीबुरू में खर्च 48 हजार, वेतन 72 हजार
उपायुक्त ने बदतर हालात व लापरवाही का उदाहरण देते हुए बताया कि किरीबुरू पंचायत में पांच माह में 48 हजार रुपये खर्च किये गये है जबकि यहां बतौर वेतन 72 हजार रुपये उठाये गये है. उन्होंने कहा कि नोवामुंडी की स्थिति सबसे खराब है तो कई पंचायत शून्य पर है.
उन्होंने स्पष्ट कहा कि जहां काम नहीं हो रहा वहां से कर्मचारी हटाये जाये. डीसी से पड़ोसी जिलों का उदाहरण देकर बताया कि पचिमी सिंहभूम में कई पंचायत करोड़ की योजनाएं चला सकते है.