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मनमाना शुल्क बनेगा मुद्दा

आरटीइ. स्कूल प्रबंधन के साथ प्रशासन की बैठक आज मनोज कुमार, चाईबासा एक अप्रैल 2010 से शिक्षा अधिकार कानून (आरटीइ) प्रभावी है. तब से लगभग पांच साल बीत गये हैं. सरकार की ओर से नियम था कि आरटीइ के तहत जो स्कूल गरीब बच्चों का नामांकन लेंगे, उसका पैसा सरकार की ओर से दिया जायेगा. […]

आरटीइ. स्कूल प्रबंधन के साथ प्रशासन की बैठक आज
मनोज कुमार, चाईबासा
एक अप्रैल 2010 से शिक्षा अधिकार कानून (आरटीइ) प्रभावी है. तब से लगभग पांच साल बीत गये हैं. सरकार की ओर से नियम था कि आरटीइ के तहत जो स्कूल गरीब बच्चों का नामांकन लेंगे, उसका पैसा सरकार की ओर से दिया जायेगा. प्रति छात्र-छात्र सरकार की ओर से पैसा देने की बात कही गयी थी. पर, पांच साल बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से एक भी स्कूल के लिए पैसा नहीं दिया गया.
दिलचस्प है कि जिन स्कूलों ने अपने-अपने विद्यालय में आरटीइ के तहत नामांकन किया है, उन स्कूलों की ओर से भी पैसा के लिए कोई क्लेम नहीं किया गया है. क्लेम के संबंध में शिक्षा विभाग के पास एक भी आवेदन नहीं आये हैं. जानकारी के अनुसार जिन स्कूलों में आरटीइ के तहत नामांकन किये गये हैं, वे नामांकन भी पूरी तरह मानक पर खरे नहीं उतरते हैं. इस कारण आरटीइ के तहत नामांकन करने वाले स्कूलों ने भी पैसे के लिए क्लेम नहीं किया है.
शिक्षा विभाग ने भी नहीं भेजा नोटिस
82 निजी स्कूलों का मान्यता नहीं है. ये स्कूल मान्यता प्राप्त करने के लिए क्या कदम उठाये, मान्यता प्राप्त किये कि नहीं, इस संबंध में शिक्षा विभाग की ओर से किसी भी स्कूल को नोटिस भेजने का तथ्य मौजूद नहीं है. अधिकांश गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का भी कहना है कि विभाग की ओर से उनको कोई नोटिस नहीं भेजा गया है. जिन स्कूलों में आरटीइ लागू है और अपनी रिपोर्ट शिक्षा विभाग को नहीं सौंपे हैं, वैसे स्कूलों को भी नोटिस नहीं किया गया है. इस कारण स्कूल प्रबंधन भी अपने हिसाब से काम करते रहे. इस दौरान उनकी ओर से कोई रिपोर्ट भी प्रशासन को नहीं सौंपी गयी.

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