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सुनियोजित था चाईबासा जेल ब्रेक

खुलासा : जेल से फरारी के समय सहदेव ने गुरा को बनाया था ढाल चाईबासा : जेल ब्रेक कांड में कुख्यात नक्सली सहदेव महतो ने भागने के लिए गुरा को ढाल बनाया था. अपने बयान में गुरा ने बताया कि जेल ब्रेक से एक दिन पहले उसे सहदेव ने जेल ब्रेक होने की जानकारी दी […]

खुलासा : जेल से फरारी के समय सहदेव ने गुरा को बनाया था ढाल
चाईबासा : जेल ब्रेक कांड में कुख्यात नक्सली सहदेव महतो ने भागने के लिए गुरा को ढाल बनाया था. अपने बयान में गुरा ने बताया कि जेल ब्रेक से एक दिन पहले उसे सहदेव ने जेल ब्रेक होने की जानकारी दी थी. लेकिन उसकी सजा पूरी होने का समय आ जाने के कारण वह भागने को तैयार नहीं थी.
जिस कारण सहदेव ने उसे जान से मारने की धमकी भी दी थी. जेल के बड़े गेट से निकलने तक सहदेव उसके कलर को पकड़ कर उसकी आड़ में छुपा हुआ था. बाहर निकलने पर वह उसे छोड़कर भाग गया. इस दौरान गोली चलने की आवाज सुनकर वह भी भाग निकला था.
सहदेव, जॉनसन व विमल थे मास्टरमाइंड
चाईबासा. जेल ब्रेक कांड में फरार 15 नक्सलियों में से एक गुरा उर्फ डीके नाग के आत्मसमर्पण के बाद जेल ब्रेक की गुत्थी सुलझने लगी है. गुरा से पूछताछ के बाद पुलिस ने साफ कर दिया कि जेल ब्रेक के मास्टर माइंड कुख्यात नक्सली सुखदेव महतो, जॉनसन व विमल गुड़िया ही थे.
ने नक्सली काफी समय से जेल ब्रेक की तैयारी में थे. हालांकि अपने साथ भागने वाले लगभग सभी नक्सलियों को उन्होंने घटना से एक दिन पहले योजना की जानकारी दे दी थी. अपने साथ अन्य नक्सलियों का भगाने का उनका मुख्य मकसद खुद को किसी तरह सुरक्षित जेल से बाहर निकालना था. भागने वालों की संख्या ज्यादा होने के कारण ही योजना के तहत पुलिस व सुरक्षा गार्डो को भ्रमित करने में ये नक्सली सफल रहें. तीन नक्सली जेल की मुख्य फाटक से बाहर निकलने तक दूसरे नक्सलियों को अपनी ढाल बनाये हुए थे.
सीआरपीएफ के प्रयास से आत्मसमर्पण
सारंडा में तैनात सीआरपीएफ के 197 बटालियन के प्रयास से गुरा को आत्मसमर्पण कराने में सफलता मिली. चाईबासा जेल ब्रेक कांड के बाद सीआरपीएफ गुरा के गांव पहुंची तथा ग्रामीणों व घरवालों को गुरा के आने पर इसकी जानकारी देने को कहा था, ताकि उसे आत्मसमर्पण कराया जा सके. दूसरी ओर जेल से भागने के बाद गुरा चाईबासा बस स्टैंड के रास्ते सरायकेला रोड होते हुए खुंटपानी चला गया था.
रात वहां ठहरने के बाद कुईडा गांव जाकर एक दुकान में दो सप्ताह काम किया था. बाद में सोनुवा से ट्रेन द्वारा जराईकेला तथा वहां से सागजोरी अपने नानी के घर चला गया. काफी दिन वहां ठहरने के बाद 12 फरवरी को वह अपने गांव दुमेंगदीरी पहुंचा था. घरवालों ने इसकी जानकारी सीआरपीएफ को दी थी. सहायक कमांडेंट जीतराम उरांव ने गांव पहुंचकर गुरा को आत्मसमर्पण के लिये तैयार किया था.

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