जगन्नाथपुर : सात महीने से दिव्यांगता पेंशन नहीं मिलने के कारण दो दिव्यांग बहनों की जिंदगी दूभर हो गयी है. वैसे भी विगत दस वर्षों से इनका जीवन बस किसी तरह रेंग भर रहा है. इनका न कोई पुरसाहाल है और न कोई मददगार. उनके माता-पिता का सहारा भी बरसों पहले छिन गया तथा संरक्षक के नाम पर आज उनके साथ उनक 75 वर्षीय वृद्ध दादा हैं और जिम्मेवारी के रूप में तीन-तीन छोटी बहनें. खपड़े के घर में किसी तरह उनका गुजर-बसर हो रहा है. ऊपर से अन्य तीनों बहनों के भविष्य की चिंता भी उन्हें सता रही है.
यह दर्दनाक कहानी है जगन्नाथपुर प्रखंड के मोंगरा महतीसाई निवासी दो दिव्यांग बहनों, 22 वर्षीय वीणा कुमारी एवं 20 वर्षीया सुखमती कुमारी की. ये दोनों पुश्तैनी खपड़े के मकान में अपने दादा मंगरू गोप तथा तीन छोटी बहनों के साथ रह रही हैं. दोनों लगभग दस साल पहले अज्ञात बीमारी के कारण पैर व घुटनों से दिव्यांग हो चुकी हैं. उनकी मां जेमा देवी की सात महीने पूर्व मृत्यु हो गयी, जबकि पिता विष्णु गोप वर्ष 2011 में ही दिवंगत हो चुके हैं जो जीवित रहते
मजदूरी कर पांचों बहनों का पालन-पोषण करते थे. उन दोनों के मरने के बाद तो इनकी जिन्दगी अंधकारमय हो गयी है. एक की कक्षा 5 व दूसरी की कक्षा 3 में पढ़ाई छूट गई. अन्य बहनों में मोनी कुमारी (16 वर्ष) दूसरों के घरों में मजदूरी करती है, जबकि आशा कुमारी (13) व सुनिका कुमारी (11) किसी तरह सरकारी स्कूल में पढ़ रही हैं. वैसे तो एक साल पहले ही इन्हें दिव्यांगता प्रमाण पत्र मिल चुका है, लेकिन अब तक इन्हें कोई सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है. इनके 75 वर्षीय दादा मंगरू गोप को भी पिछले छह महीनों से वृद्धा पेंशन नहीं मिली है.