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पांच करोड़ के घोटाले की एसीबी जांच की अनुशंसा

सुरजीत सिंह रांची : पुलिस मुख्यालय ने गुमला में वर्ष 2010 में हुए पांच करोड़ रुपये के घोटाले की एसीबी जांच की अनुशंसा सरकार से की है. घोटाले के लोकर गुमला के तत्कालीन डीडीसी पुनई उरांव ने गुमला थाना में कांड संख्या-337/2011 दर्ज कराया गया था. इसमें गुमला पुलिस द्वारा की गयी जांच में यह […]

सुरजीत सिंह
रांची : पुलिस मुख्यालय ने गुमला में वर्ष 2010 में हुए पांच करोड़ रुपये के घोटाले की एसीबी जांच की अनुशंसा सरकार से की है. घोटाले के लोकर गुमला के तत्कालीन डीडीसी पुनई उरांव ने गुमला थाना में कांड संख्या-337/2011 दर्ज कराया गया था. इसमें गुमला पुलिस द्वारा की गयी जांच में यह पाया गया है कि मामले के नामजद 16 स्वयंसेवी संस्थाओं के 27 आरोपियों के द्वारा मनरेगा की योजना में अग्रिम के रूप में सरकारी राशि ली गयी.
कार्यादेश की शर्तों का उल्लंघन करते हुए मनमाने तरीके से सरकारी राशि का गबन या दुरुपयोग किया गया. काम का गलत प्रगति प्रतिवेदन देकर दूसरी व तीसरी किस्त की राशि प्राप्त की गयी. पुलिस की जांच और सुपरविजन में नामजद अभियुक्तों के खिलाफ आरोप सही पाया गया. साथ ही घोटाले में तत्कालीन उपायुक्त अाराधना पटनायक, तत्कालीन प्रभारी उपायुक्त विनय कुमार अंबष्ठ, तत्कालीन डीडीसी मदन लाल दास, गुमला नियोजन कार्यालय के तत्कालीन निदेशक राजेश्वर दास, तत्कालीन बीडीओ प्रभात कुमार समेत 11 सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की संलिप्तता पायी गयी है.
सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के अभियुक्तिकरण पर अंतिम निर्णय लेने से पहले सभी से पूछताछ की जानी आवश्यक है. पुलिस मुख्यालय ने निगरानी जांच की अनुशंसा करते हुए लिखा है कि अब तक के अनुसंधान से सरकारी सेवकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम-1988 की धाराओं को जोड़ा जाना जरूरी है. भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की जांच डीएसपी रैंक के अफसर ही कर सकते हैं. गुमला जिला में डीएसपी रैंक के जो अधिकारी पदस्थापित हैं, उन्हें इस तरह के मामलों की जांच का अनुभव नहीं है. इसलिए पूरे मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से कराये जाने की अनुशंसा की जाती है.

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