फोटो 25एसकेएल 1, प्रशिक्षण लेते किसान.प्रतिनिधि, सरायकेलाआत्मा भवन के सभा कक्ष में शनिवार को बायफ कार्यक्रम के तहत जिला के 44 प्रबुद्ध किसानों को अजोला उत्पादन के लिए प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य रुप से उपस्थित डेयरी तकनीकी पदाधिकारी शैलेश कुमार ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि अजोला शैवाल की तरह का एक घास है. जिसका उत्पादन कर दुधारू पशु को खिलाने से दूध की गुणवत्ता व उत्पादन में वृद्धि हो जाती है.अजोला घास को खिलाने से पशु की दूध देने की अवधि बढ़ने के साथ उसकी रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ जाती है. श्री कुमार ने कहा कि इसे खेतों में डालने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ जाती है. जिससे फसल का उत्पादन बढ़ जाता है. उन्होंने किसानों को बताया कि अजोला के उत्पादन के लिए एक पीस सिल्पोलिन की चादर, 40 ईंट, 45 किग्रा मिट्टी, 5 ग्राम गोबर व 50 ग्राम अजोफर्ट की आवश्यकता होती है. जिसे कोई भी किसान आसानी से कर सकता है. प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य रुप से जिला बायफ प्रभारी मुकेश कुमार व पूर्वी सिंहभूम के अन्नत कुमार उपस्थित थे.
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अजोला उत्पादन को लेकर किसानों को मिला प्रशिक्षण
फोटो 25एसकेएल 1, प्रशिक्षण लेते किसान.प्रतिनिधि, सरायकेलाआत्मा भवन के सभा कक्ष में शनिवार को बायफ कार्यक्रम के तहत जिला के 44 प्रबुद्ध किसानों को अजोला उत्पादन के लिए प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य रुप से उपस्थित डेयरी तकनीकी पदाधिकारी शैलेश कुमार ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि अजोला शैवाल की तरह […]
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