अमड़ापाड़ा : बरमसिया गांव से विस्थापित बच्चों के भविष्य गढ़ने को लेकर पैनम कंपनी की ओर से स्थापित किये गये पचुवाड़ा कोल ब्लॉक विद्यालय इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसू तो बहा ही रहा है, वहीं उपरोक्त विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे का भविष्य भी अंधकार हो गया है. सरकार जहां क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर पानी की तरह पैसा बहा रही है, वहीं पैनम से विस्थापित लोगों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तो दूर प्राथमिक शिक्षा भी मयस्सर नहीं हो रही है.
मालूम हो कि वर्ष 2013 में तत्कालीन उपायुक्त सुनील कुमार सिंह के कार्यकाल में उक्त विद्यालय का शुभारंभ विस्थापितों के बच्चों को शिक्षा देने के लिए हुआ था. उक्त विद्यालय पंजाब इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड व बंगाल एंटा के जाइंट वेंचर पैनम के देख-रेख में संचालित था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एम्टा कोल ब्लॉक की एमडीओ रद्द होने के बाद से अगस्त 2015 से विद्यालय बंद हो चुका है. जिसके बाद उक्त विद्यालय को चालू कराये जाने को लेकर न तो पैनम के द्वारा ही कोई पहल की गयी
और न ही स्थानीय प्रशासन की नजर इस पर पड़ी. कोलनगरी कहे जाने वाले अमड़ापाडा में पैनम कंपनी की एक मात्र स्कूल का बंद रहना विस्थापितों को कोल कंपनी द्वारा सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी) के तहत उपलब्ध करायी जाने वाली बिजली, पानी, चिकित्सा, शिक्षा, मजदूरी जैसी खोखले वादों की कहानी बयां कर रही है.
कहते हैं ग्रामीण
मेरे बच्चे उक्त विद्यालय में पढ़ते थे, लेकिन दो साल पूर्व बंद हो चुका है. अज्ञात चोरों द्वारा समान की चोरी की जा रही है.
-सीताराम पहाड़िया
मेरी बेटी और बेटा सहित गांव के काफी बच्चे विद्यालय में पड़ता था. विद्यालय बंद होने से शिक्षा पर काफी फर्क पड़ा है. बच्चों की बेहतर भविष्य के सपने टूट चुके हैं. कहा कि विद्यालय के बंद हो जाने से बच्चों को बाहर भेजना पड़ रहा है. इसमें उन्हें परेशानी भी हो रही है.
– नरेश टुडू
चोर चुरा ले गये विद्यालय के उपस्कर
उपरोक्त विद्यालय पिछले दो वर्षों से बंद हो चुका है. विद्यालय के देख-रेख में पैनम प्रशासन की कोई दिलचस्पी नहीं है. जिसका फायदा अराजक तत्वों व चोरों ने भी उठाया. अराजक तत्वों द्वारा विद्यालय के फर्नीचर, बोर्ड सहित सभी आवश्यक सामानों को चोरी कर ली गयी है. दरवाजों को तोड़ दिया गया है।ब्लैक बोर्ड को तोड़-फोड़ दिया गया. विद्यालय के बेंच-डेस्क टूट चुके हैं. सैकड़ों बेंच-डेस्क चोरी हो चुकी है. कुछेक बची है जो टूटने की कगार पर है.
मानदेय नहीं मिलने पर शिक्षकों ने भी छोड़ा काम
उक्त विद्यालय में पैनम द्वारा अध्यापन कार्य हेतु 12 टीचिंग स्टाफ और एक नन टीचिंग स्टाफ की बहाली कर विस्थापित क्षेत्र के बेरोजगार युवक-युवतियों को रोजगार दिया गया था. जिसमें नोमिता मरांडी, प्रेमशीला मुर्मू, रोशन टुडू, संजय मुर्मू, जगदीश राय, सुधीर मुर्मू(प्रिंसिपल), सेलेस्टिन मुर्मू, मन्वेल मरांडी, प्रदीप मुर्मू, राजेश मुर्मू, सदानन्द राय, टातय मुर्मू व नन टीचिंग स्टाप बाबूराम मुर्मू शामिल थे. शिक्षकों ने बताया कि मानदेय नहीं मिलने के कारण हमने काम करना छोड़ दिया था.
कहते हैं पैनम के अधिकारी
मामले को लेकर पैनम कोल प्रबंधन के एक अधिकारी ने बताया कि दो-तीन माह पूर्व पंखा व लाइट के सभी सामान की चोरी की सूचना मिली थी. जिस पर मैंने विद्यालय का निरीक्षण किया था. टूटे दरवाजों में ताला लगाया था.