रांची : राजधानी रांची के ओरमांडी प्रखंड के गागु टोली में गैरमजरुआ जमीन जिसका खाता संख्या 144, प्लांट संख्या, 303 जिसका कुल रकबा 2 एकड़ आठ डिसिमिल और 304 जिसका कुल रकबा 18 डिसिमिल है. इस पर जमीन दलाल कब्जे की कोशिश कर रहे हैं. ग्रामीणों ने यह आरोप लगाते हुए बताया, इसमें एक तालाब हुआ करता था जिससे खेतों तक पानी पहुंचता था उसे भी भर दिया गया है और गांव के ही कुछ लोगों की मिलीभगत से इसे बेचने की कोशिश की जा रही है.
गागु टोली के ग्रामीणों का आरोप है कि इस जमीन पर कब से जमीन दलालों की नजर थी. इस पर बने तालाब को पहले धीरे- धीरे भर दिया गया और इसे बेचने के लिए ग्राहकों को भी खोजा जाने लगा. जब इसकी भनक ग्रामीणों को लगी की जमीन गैरमजरुआ है और बेची जा रही तो सभी ग्रामीण एक हुए और इसके खिलाफ आवाज उठायी.
ग्रामीणों का कहना है कि तालाब के भर दिये जाने से खेती में नुकसान हो रहा है. यहां एक छोटा सा तालाब था जिससे हमारे खेतों तक पानी पहुंचता था. अब इसे भर दिया गया हमारे खेतों तक पानी कैसे पहुंचेगा. हम बारिश के भरोसे तो खेती नहीं कर सकते. इस बांध की वजह से हमारी खेती बेहतर थी लेकिन इसे भर दिया गया है जिससे हमारा नुकसान हो रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि जमीन दलाल गांव के कुछ और लोगों को भी खरीदने की भी कोशिश कर रहे हैं
ग्रामीणों ने गैरकानूनी तरीक से बेची जा रही इस जमीन की शिकायत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी की. इस चिट्ठी में गैरमजरुआ जमीन की पूरी जानकारी खाता और प्लांट संख्या के साथ कुल जमीन इस इलाके में कितनी है, इसे भी बताया गया है. इसी गैरमजरुआ जमीन में मंदिर, सरकारी स्कूल और दो तालाब है. एक तालाब बड़ा और छोटे से ताबाल को भरकर इस जमीन के सौदे की तैयारी कर ली गयी थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ- साथ इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों से भी की गयी है जिसमें ग्रामीणों ने एक चिट्ठी बनाकर सबने हस्ताक्षर भी किया है.
इस पूरे मामले की शिकायत सांसद संजय सेठ तक भी पहुंची है. उन्होंने प्रभात खबर डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि मैं इस पूरे मामले की जांच करवाऊंगा और जो भी अधिकारी इसमें संलिप्त होंगे उस पर कार्रवाई होगी. जनता के साथ किसी भी तरह का अत्याचार नहीं होना चाहिए. अगर जमीन गैरमजरुआ है और उसे बचने की कोशिश की जा रही है तो यह गलत है. मैं इस मामले में अधिकारियों से पूरी जानकारी मांगी है. मैं इस मामले पर व्यक्तिगत तौर पर नजर रख रहा हूं.
ओरमांडी प्रखंड के सीओ शिवशंकर पांडेय ने फोन पर बताया कि मुझ तक यह मामला 10 से 15 दिन पहले पहुंचा था . कुछ दिनों पहले मैंने कर्मचारी को भेजकर इसकी जांच भी करायी. कर्मचारी ने बताया कि किसी आरी को काटा या भरा गया है तालाब नहीं भरा गया. जिस जमीन पर विवाद है उस जमीन की बंदोबस्ती हो गयी है और रसीद कट रहा है. कल मैं खुद इस जगह पर कर्मचारी के साथ जाऊंगा और पूरे मामले की जांच करूंगा.
इस जमीन पर हुआ विवाद और इस मामले को विस्तार से समझाते हुए उन्होंने बताया कि यह जमीन गैरमजरुआ है लेकिन खास प्रकार की है जिसकी खरीद बिक्री हो सकती है. साल 2002 में ही इस जमीन को बेचा गया है. जमीदारों ने इसे बेचा है और इस इलाके में 13 लोगों को जमीन बेची गयी है, जिनके नाम म्यूटेशन कराया गया है. जमींदार जब जमीदांरी से हटकर रैयत बन रहे थे उन्हें सरकार ने कुछ जमीन रखने का अधिकार दिया था जिसमें इस तरह के गैरमजरुआ जमीन भी शामिल थे. गैरमजरुआ जमीन का नाम नहीं बदलता है यह इसी नाम से आता है लेकिन सूची 2 में आपको इनके नाम दिखेंगे. इस जमीन को बेच दिया गया है और आसपास के कई जमीनों को भी पहले ही बेचा गया है लेकिन कई लोगों का अबतक म्यूटेशन नहीं हुआ है.
Posted By – Pankaj Kumar pathak