राजकुमार लाल (रांची).
राज्य में मूक बधिर विद्यार्थियों के लिए आठवीं के बाद तक की पढ़ाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. इस कारण आठवीं तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्हें विवश हो घर बैठ जाना पड़ता है. राजधानी रांची में मूक बधिर विद्यार्थियों के लिए दो विद्यालय संचालित है. एक सरकारी और दूसरा अर्द्धसरकारी है. समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित मूक बधिर विद्यालय हरमू में सातवीं तक की पढ़ाई होती है.वहीं क्षितिज मूक बधिर विद्यालय में आठवीं तक की पढ़ाई होती है. राज्य के सभी जिलों में मूक बधिर बच्चों के लिए पढ़ाई की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. दूसरे राज्यों में ऐसे स्कूल हैं, जहां आठवीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई की व्यवस्था है. आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे पढ़ाई के लिए बाहर नहीं जा सकते. इस कारण व्यवस्था के आगे विवश हो ऐसे बच्चे आठवीं तक की पढ़ाई कर घर में बैठने को बाध्य होते हैं. अलग राज्य बनने के बाद कई बार ऐसे बच्चों के लिए 12वीं तक की पढ़ाई के लिए स्कूल खोलने की मांग की गयी. लेकिन यह मांग धरातल पर नहीं उतर सका. इस कारण मूकबधिर बच्चों के साथ उनके परिजन भी परेशान हैं. सरकार को ऐसे बच्चों के भविष्य को देखते हुए गंभीरता से पहल करनी चाहिए. साथ ही इन बच्चों के लिए कौशल विकास केंद्र भी खोलना चाहिए. ताकि तकनीकी रूप से कामकाज सीख वे आत्मनिर्भर बन सकें.बच्चों के भविष्य के बारे में सोचे सरकार
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अरुण अग्रवाल ने कहा कि राज्य में मूक बधिर विद्यार्थियों के लिए बारहवीं तक की पढ़ाई की सुविधा होनी चाहिए ताकि बच्चे पढ़ाई कर भविष्य बना सके. इन बच्चों के लिए कौशल विकास केंद्र की भी सुविधा होनी चाहिए, ताकि उन्हें पढ़ाई के साथ तकनीकी ज्ञान भी प्राप्त हो सके. धनंजय चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए ताकि बच्चा आगे तक की पढ़ाई पूरी कर स्वावलंबी बन सके. उन्होंने कहा कि आठवीं के बाद बच्चे कहां पढ़ेंगे. यह सोच कर हताशा होती है. सरकार को चाहिए कि कम से कम रांची में 12 वीं तक की शिक्षा की व्यवस्था करे. साथ ही उनके लिए कौशल विकास केंद्र की भी व्यवस्था करे. ताकि तकनीकी दक्षता प्राप्त कर बच्चे हुनरमंद बंद जीविकोपार्जन कर सकें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है