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जहां हम खेले, तैरना सीखा, उसे ही तालाब नहीं मान रहा निगम
कोकर के बुद्धिजीवियों ने की डिस्टिलरी में तालाब बनाने की मांग, कहा रांची : कोकर के बुद्धिजीवियों और स्थानीय लोगों ने मंगलवार को प्रभात खबर कार्यालय में आ कर डिस्टिलरी तालाब के मुुद्दे पर अपने विचार रखे. इन लोगों ने कहा कि जिस तालाब में हमलोग बचपन में खेलेकूदे, जहां तैरना सीखा, आज उसी को […]
कोकर के बुद्धिजीवियों ने की डिस्टिलरी में तालाब बनाने की मांग, कहा
रांची : कोकर के बुद्धिजीवियों और स्थानीय लोगों ने मंगलवार को प्रभात खबर कार्यालय में आ कर डिस्टिलरी तालाब के मुुद्दे पर अपने विचार रखे. इन लोगों ने कहा कि जिस तालाब में हमलोग बचपन में खेलेकूदे, जहां तैरना सीखा, आज उसी को निगम तालाब मानने से इनकार कर रहा है.
दरअसल पार्क के निर्माण की योजना से स्थानीय लोगों में काफी रोष है. उनका कहना है सरकार एक आेर जहां जल संरक्षण को बढ़ावा देने की बात कर रही है, वहीं डिस्टिलरी के तालाब को पार्क में तब्दील कर रही है. यह कहीं से भी सही नहीं है. बेहतर होगा कि नगर निगम डिस्टिलरी में एक बड़े तालाब का निर्माण कराये.
स्वयं सेवी संगठनों ने तेज की मुहिम
इधर, डिस्टिलरी तालाब को बचाने के लिए स्वयं सेवी संगठन इंपावर झारखंड और झारखंड नवनिर्माण मंच ने भी अपनी मुहिम तेज कर दी है. संगठन के अध्यक्ष आदित्य विक्रम जायसवाल इस मामले में मेयर आशा लकड़ा से भी मिल चुके हैं. संगठन का आरोप है कि सौंदर्यीकरण के नाम पर शहर के जल स्रोतों को खत्म जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है. वहीं पास में ही भगवान बिरसा मुंडा का समाधि स्थल से सटाकर फिश और मुरगा मार्केट के निर्माण पर भी संगठन को एतराज है.
डिस्टिलरी तालाब से हमारे बचपन की यादें जुड़ी हैं. यहां हम खेलेकूदे, तैरना सीखा है. आज उसी तालाब को निगम मानने से इनकार कर रहा है. हर हाल में तालाब का अस्तित्व बरकरार रहना चाहिए.
रमेश सिंह
डिस्टिलरी में हर हाल में तालाब बनना चाहिए. इस तालाब से हमारा पुरान नाता रहा है. धार्मिक सौहार्द से भी जुड़ा मामला है. पहले इसी तालाब में छठ होता था, अाज यह तालाब अपना अस्तित्व खो रहा है.
युवराज पासवान
राजधानी के जैसे अन्य तालाबाें का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, उसी तरह डिस्टिलरी तालाब का भी सौंदर्यीकरण हो. यहां तो राजनीति शुरू हो गयी है. हमें इससे मतलब नहीं है. बस इसे तालाब ही रहने दें.
राजेश महतो
सरकार जल संरक्षण की बात कर रही है. डिस्टिलरी के आसपास के मोहल्लाें का जल स्तर गिरता जा रहा है. इसके बावजूद तालाब का अस्तित्व की चिंता नगर निकाय के पदाधिकारियों काे नहीं है.
प्रदीप सिंह
हमारा बचपन इस तालाब के पास गुजरा है. अब निगम कह रहा है कि यहां तालाब ही नहीं था. राजनीति करने के बजाय निगम के पदाधिकारियों को तालाब को बचाने के बारे में सोचना चाहिए.
आनंद साहू
जलस्तर गिर रहा है, इसके बावजूद सरकार चेत नहीं रही है. आपसी कटुता को छोड़ कर जनप्रतिनिधि तालाब के अस्तित्व को बचाने का प्रयास करें. लोगों काे पता है कि यहां क्या था, इसलिए राजनीति नहीं करें.
आेम प्रकाश तिवारी
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