इसके अलावा बैंकों के निजीकरण, विलय बंद करने, कर्मियों की छंटनी एवं स्टाफ को कम करने के नाम पर वीआरएस का दबाव बंद करने की मांग कर रहे थे. बैंक कर्मियों ने कहा कि आरबीआइ के गर्वनर विदेशों के विवि तथा डिप्टी गर्वनर फिक्की की सभा में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बारे में गलत बयानबाजी कर रहे हैं. गवर्नर व डिप्टी गवर्नर अपनी अंतरात्मा से पूछें कि आखिर वे क्या बोल रहे हैं.
बैंक कर्मी पिछले 25 सालों से बैंकों के निजीकरण के विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं. इसमें आम जनता और ग्राहकों की भी अहम भूमिका है. निजीकरण और विलयन वर्तमान बैंकिंग उद्योग की समस्या का समाधान नहीं है. सरकार अपने मनमाने रवैये पर अडिग रही, तो आने वाले दिनों में बैंककर्मी हड़ताल करने के लिए मजबूर होंगे. प्रदर्शन के मौके पर एमएल सिंह, मो नईम, प्रशांत शांडिल्या, राजन कुजूर, वाइपी सिंह, एसके पांडेय, राजेश आदि मौजूद थे.