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उर्सुलाइन धर्मसमाज का शताब्दी समारोह आज से
रांची : उर्सुलाइन सिस्टर्स ऑफ टिल्डोंक का द्विशताब्दी वर्ष 30 अप्रैल से शुरू होगा़ इसके तहत साल भर विविध कार्यक्रमों का आयोजन होगा़ उर्सुलाइन इंटर कॉलेज की प्राचार्य सिस्टर डॉ मेरी ग्रेस ने बताया कि भारत में इस धर्म समाज के 103 कॉन्वेंट हैं, जिनके माध्यम से सिस्टर्स शिक्षा, स्वास्थ्य, सुसमाचार प्रचार व वृद्धाश्रम सेवा […]
रांची : उर्सुलाइन सिस्टर्स ऑफ टिल्डोंक का द्विशताब्दी वर्ष 30 अप्रैल से शुरू होगा़ इसके तहत साल भर विविध कार्यक्रमों का आयोजन होगा़ उर्सुलाइन इंटर कॉलेज की प्राचार्य सिस्टर डॉ मेरी ग्रेस ने बताया कि भारत में इस धर्म समाज के 103 कॉन्वेंट हैं, जिनके माध्यम से सिस्टर्स शिक्षा, स्वास्थ्य, सुसमाचार प्रचार व वृद्धाश्रम सेवा के कार्यों से जुड़ी है़ं समारोह का उदघाटन भारत, बेल्जियम, कनाडा, अमेरिका व कोंगो (अफ्रीका) में एक साथ होगा़
विभिन्न शिक्षण संस्थानों में फादर लंबर्ट्स के जीवन, मिशन कार्य, आध्यात्मिक जीवन, कैरिज्म, पुरोहिताई जीवन के बारे में जानकारियां दी जायेंगी़ इसके लिए आठ दिनों की आध्यात्मिक प्रार्थना- साधना, सामूहिक अध्ययन, लोहरदगा ट्रेनिंग सेंटर में स्थापित केंद्र की सालाना तीर्थ यात्रा, शिक्षण संस्थानों में पेंटिंग, ड्रॉइंग, कलात्मक लिखावट, फादर लंबर्ट्स के जीवन पर आधारित झांकी प्रतियोगिता, नाटक का मंचन आदि कार्यक्रम होंगे़
रेव्ह फादर जॉन लंबर्ट्स ने रखी नींव: इस धर्मसमाज की नींव रेव्ह फादर जॉन मार्टिन कोर्नेलियुस लंबर्ट्स ने 30 अप्रैल 1818 को रखी थी़
शिक्षिका अन्न मेरी ग्रुंदरबेक, कैथरीन वन-द-स्क्रीक व मेरी अकरब्रुक ने अपने संस्थापक से विशेष आशीष प्राप्त की और मिशन कार्यों में जुट गयी़ इन तीनों ने ईश्वर के प्रति समर्पित जीवन जीने की इच्छा प्रकट की और वे एक-दूसरे को सिस्टर बुलाने लगी़ं 1818 के क्रिसमस के दिन वे तीनों एक ही यूनिफॉर्म में आयी़
फादर लंबर्ट्स ने उनके जीवन की गंभीरता व दृढ़ संकल्प को देख कर इन तीनों के छोटे समुदाय का नाम डॉटर्स आॅफ संत उर्सुला रखा़ 12 मई 1869 में अपनी मृत्यु तक संस्थापक फादर लंबर्ट्स ने बेल्जियम, हॉलैंड, जर्मनी इंग्लैंड व इंडोनेशिया में 40 मठ की स्थापना की, जिनमें 900 धर्मबहनें नौ हजार बच्चों को शिक्षित कर रही थी़ं 13 जनवरी 1903 को सिस्टर अंतोनी, सिस्टर गोंजागा, सिस्टर उर्सुला व सिस्टर सबीना ने भारत के रांची में इस घर्मसंघ की शुरुआत की़
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