श्री पांडेय ने कहा है कि नगर निगम और ट्रैफिक विभाग एक मुश्त तीन महीने का पार्किंग शुल्क 45 सौ रुपये जमा कर क्यूआर कोड का स्टिकर देने की बात कर रहे हैं.
ऐसे तो बीमारी या अन्य कारण से छुट्टी पर गये चालकों को बिना ऑटो चलाये ही शुल्क देना पड़ेगा. इतना ही नहीं ऑटो चालकों को कॉमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस मिला ही नहीं है, साथ ही परमिट प्रतिस्थापन (रिप्लेसमेंट) भी नहीं किया गया है. ऑटो चालक इंश्योरेंस, परमिट, फिटनेस और प्रदूषण शुल्क के बोझ से पहले ही दबे हुए हैं. ऐसे में इस प्रकार का आर्थिक बोझ से ऑटो चालक की कमर टूट जायेगी. इस मुद्दे पर महासंघ का प्रतिनिधिमंडल नगर आयुक्त प्रशांत कुमार से मिला. नगर आयुक्त ने कहा कि वे ऑटो चालकों की परेशानी को ट्रैफिक को-अॉर्डिनेशन कमेटी के समक्ष रखेंगे.