रांची : कल्याण विभाग के तहत झारखंड जनजातीय विकास संस्था (जेटीडीएस) की स्थापना वर्ष 2003 में की गयी थी. इसके तहत अभी राज्य के 14 जिलों के 30 प्रखंडों की 159 पंचायतों के कुल 1254 गांवों में जनजातीय विकास का कार्यक्रम चल रहा है. ये वैसे गांव हैं, जहां जनजातीय आबादी 50 फीसदी या इससे अधिक है. पर संबंधित गांव के गैर जनजातीय परिवारों को भी योजना का लाभ मिलता है. इन गांवों में करीब पांच हजार स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) गठित कर इनके जरिये आर्थिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं.
इसके अलावा आय वृद्धि या आजीविका के लिए यहां पशुपालन, जल प्रबंधन व मत्स्य पालन के कार्यक्रम व प्रशिक्षण संचालित होते हैं. वित्तीय वर्ष 2016-17 में परियोजना के तहत कुल 1400 पशु (सूकर व बकरी) व मुरगी शेड बनाये गये. समिति की सहयोगी गैर सरकारी संस्थाअों के माध्यम से ये शेड बने हैं. वहीं चालू वित्तीय वर्ष में भी मुरगी व बकरी के पांच-पांच सौ तथा सूकर के छह सौ शेड बनाये जायेंगे.
इस बार शेड बनाने का काम मनरेगा से होगा. आजीविका के अन्य साधनों को विकसित करने के लिए आदिवासी समूहों को वन प्रबंधन में भागीदारी के लिए प्रशिक्षण देना, लघु वनोपज के उत्पादन की उचित प्रक्रिया तथा इसके बाजार की जानकारी तथा रोजगार संबंधी अन्य प्रशिक्षण भी इस कार्यक्रम का हिस्सा है. इन कार्यक्रमों के जरिये संबंधित जनजातीय गांवों में लोगों का जीवन बेहतर हो रहा है. इस पूरे कार्यक्रम के लिए 44.10 फीसदी फंड संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रिकल्चरल डेवलपमेंट या आइफाड) देता है.