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नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी लोगों से वसूले लाखों रुपये

मेदिनीनगर: पलामू में नौकरी दिलाने के नाम पर चल रहे फरजीवाड़ा का खुलासा हुआ है. इसका तार बिहार से जुड़ा हुआ है. मेदिनीनगर के बाइपास रोड में स्थित अंबिका लॉज में कार्यालय खोल कर आवेदन लिए जा रहे थे. आवेदन पलामू व गढ़वा के ग्रामीण इलाकों से लिए जा रहे थे. इसके नाम पर आवेदकों […]

मेदिनीनगर: पलामू में नौकरी दिलाने के नाम पर चल रहे फरजीवाड़ा का खुलासा हुआ है. इसका तार बिहार से जुड़ा हुआ है. मेदिनीनगर के बाइपास रोड में स्थित अंबिका लॉज में कार्यालय खोल कर आवेदन लिए जा रहे थे. आवेदन पलामू व गढ़वा के ग्रामीण इलाकों से लिए जा रहे थे. इसके नाम पर आवेदकों से पैसे लिए जा रहे थे और उन्हें आरोग्य दूत बनाने का सब्जबाग दिखाया जा रहा था. शुक्रवार को सदर अनुमंडल पदाधिकारी नैंसी सहाय ने छापामारी कर इस फरजीवाड़े का खुलासा किया है.
बताया गया कि आरोग्य भारत अभियान के नाम पर यह फरजीवाड़ा किया जा रहा था. अंबिका लॉज मे इसका कार्यालय था, जिसका संयोजक सुदर्शन मेहता नामक व्यक्ति है. बताया गया कि वार्ड से लेकर जिला स्तर तक आरोग्य दूत पद पर बहाली के लिए आवेदन लिये जा रहे थे.

यह कार्य पिछले चार माह से चल रहा था. एसडीओ ने बताया कि जब सुदर्शन मेहता से इस पूरे मामले की जानकारी ली गयी, तो वह साफ-साफ कुछ बताने की स्थिति में नहीं था. आवेदन पर कितना शुल्क लिया गया है, इसके बारे में भी वह स्पष्ट कुछ कह नहीं पा रहा था. जांच के क्रम में यह पता चला कि नौकरी दिलाने के नाम पर जो आवेदन लिये गये, उसमें किसी से 250 तो किसी से 3000 रुपये लिये गये. बताया जाता है कि पद के अनुसार पैसे की वसूली की गयी है. सुदर्शन मेहता अपने आप को आरोग्य भारत का झारखंड स्टेट हेड बता रहा है. लेकिन उसके पास इसके लिए कोई कागजात भी नहीं है. उसकी नियुक्ति आखिर कैसे हुई इस सवाल पर उसने कहा कि आरोग्य भारत के हेड बिहार के मोतीहारी के हरिहर सिंह है. सुदर्शन ने एसडीओ श्रीमती सहाय की बात हरिहर सिंह से करायी. जब एसडीओ ने उससे पूरी जानकारी मांगी, तो वह सकते में आ गया और कहा कि आवेदन शुल्क 250 रुपये है. लेकिन यह लिखित तौर पर कहीं भी नहीं है. एसडीओ श्रीमती सहाय ने बताया कि कार्यालय से ढाई से तीन लाख रुपये बरामद किये गये है. जब कार्यालय में छापामारी चल रही थी, तो उस दौरान गढ़वा के भवनाथपुर के एक व्यक्ति आया हुआ था, जब उससे जानकारी ली गयी, तो उसने बताया कि सुदर्शन मेहता को नहीं जानता, एक दो बार फोन से बात हुई थी. उसे नौकरी की जरूरत थी. इसलिए वह आवेदन जमा करने आया था. पूरा मामला काफी चालाकी के साथ चल रहा था. शहर में यह सब जल्दी चर्चा में आ जाता, इसलिए फरजी करनेवाले लोगों ने पलामू व गढ़वा के ग्रामीण क्षेत्रों में काम किया और वहां से पैसे की उगाही की है. बताया जाता है कि लोगों को यह लालच दी जा रही थी कि पद के अनुसार प्रति माह पांच से 15 हजार रुपये वेतन मिलेंगे. काम कुछ नहीं है सिर्फ अपने क्षेत्र से स्वास्थ्य संबंधित रिपोर्ट भेजना है.

बिहार से भी ली जा रही है जानकारी
एसडीओ नैंसी सहाय ने बताया कि इस मामले में बिहार से भी जानकारी इकट्ठा की जा रही है. आरोग्य दूत के नाम पर जो संस्था चल रही है, उसका प्रधान कार्यालय बिहार के मोतिहारी पूर्वी चंपारण में बताया गया है. वहां के प्रशासन से यह जानकारी मांगी गयी है कि इस संस्था का काम क्या है. पूरे मामले की जांच जारी है. इस फरजीवाड़े से जो लोग जुड़े हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. जांच शुरू कर दी गयी है.

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