रांची/धनबाद: उच्च एवं तकनीकी शिक्षा व कौशल विकास विभाग ने विनोद बिहारी महतो विश्वविद्यालय के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा बजट सत्र में विधानसभा में इसकी घोषणा की गयी थी. मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद विभाग ने इस आशय का प्रस्ताव तैयार किया. विभाग ने प्रस्ताव राज्यपाल की स्वीकृति के लिए राजभवन को भेजा था.
राजभवन से प्रस्ताव को स्वीकृति मिल गयी है. विश्वविद्यालय गठन के लिए विभाग तेजी से काम कर रहा है. गजट प्रकाशन के लिए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव विधि विभाग को भेज दिया है. विनोबा भावे विवि से दो जिलों को अलग कर विवि बनाया जायेगा. इसमें धनबाद, बोकारो जिले के कॉलेज शामिल होंगे. विभागीय सचिव अजय कुमार सिंह ने गत दिनों कुलपति व विभागीय पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में विवि के लिए पद सृजन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा था.
विभाग द्वारा इसकी तैयारी शुरू कर दी गयी है. प्रस्ताव पद वर्ग समिति को भेजा जायेगा. विवि के लिए धनबाद में जमीन भी देखा गया है. उच्च शिक्षा एवं तकनीकी विभाग की ओर से कोयलांचल विश्ववद्यिालय की स्थापना के लिए चार भूखंड चिह्नित किये गये थे. इसमें भेलाटांड़ (21 एकड़), पॉलिटेक्निक कैंपस (71 एकड़), रेंगुनी (25 एकड़) और बेलगड़िया (23 एकड़) शामिल हैं. इसमें से भेलटांड़ स्थित जमीन पर लगभग सहमति बन गयी है. विवि का अपना भवन बनने तक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत इसे धनबाद स्थित किसी कॉलेज में संचालित किया जा सकता है.
विवि में दो जिला होंगे शामिल
राज्य में वर्तमान में 65 अंगीभूत काॅलेज हैं. इनमें से सबसे अधिक 19 कॉलेज विनोबा भावे विवि में हैं. विनोद बिहारी महतो विश्वविद्यालय विनोबा भावे विवि से अलग कर बनाया जायेगा. पहले इसमें धनबाद, बोकारो व गिरिडीह तीनों जिला को शामिल करने का प्रस्ताव था, पर बाद में गिरिडीह को इससे अलग कर दिया गया. राज्य में रांची विवि में 15, नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय पलामू में चार, सिदो-कान्हो विवि, दुमका में 13, कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा में 14 और विनोबा भावे हजारीबाग में 19 अंगीभूत कॉलेज हैं.
राज्य का होगा छठा विवि
यह झारखंड का छठा विश्ववद्यिालय होगा, जबकि अलग राज्य बनने के बाद स्थापित होनेवाला यह तीसरा विश्वविद्यालय होगा. इससे पूर्व राज्य गठन के बाद रांची विश्वविद्यालय से अलग कर नीलांबर-पीतांबर विवि, पलामू व कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा बनाया गया था. राज्य गठन के समय झारखंड में तीन विश्वविद्यालय था. राज्य गठन के बाद झारखंड में केंद्रीय विश्वविद्यालय भी खुला है.
विनोद बिहारी महतो विश्वविद्यालय के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इसके लिए तेजी से काम किया जा रहा है. प्रस्ताव विधि विभाग को भेजा गया है. प्रक्रिया पूरी होने के बाद गजट प्रकाशन किया जायेगा. जमीन चिह्नित करने का काम भी लगभग पूरा कर लिया गया है. पद सृजन के लिए लिए भी प्रकिया शुरू की जायेगी.
अजय कुमार सिंह, सचिव, उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा व कौशल विकास विभाग