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लिट्टीपाड़ा उपचुनाव के लिए भाजपा के पास नहीं है मुद्दा

लिट्टीपाड़ा/हिरणपुर. लिट्टीपाड़ा विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के पास मुद्दा नहीं है. यहां की जनता खूब समझ रही है. झामुमो की मजबूत स्थिति से घबरा कर पूरी सरकार आज विधानसभा क्षेत्र में है. यह बातें पूर्व मुख्यमंत्री सह झामुमो के कार्यकारी केंद्रीय अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान के दौरान कही. उन्होंने कहा कि […]

लिट्टीपाड़ा/हिरणपुर. लिट्टीपाड़ा विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के पास मुद्दा नहीं है. यहां की जनता खूब समझ रही है. झामुमो की मजबूत स्थिति से घबरा कर पूरी सरकार आज विधानसभा क्षेत्र में है. यह बातें पूर्व मुख्यमंत्री सह झामुमो के कार्यकारी केंद्रीय अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान के दौरान कही.

उन्होंने कहा कि केवल झामुमो ही यहां के आदिवासियों व मूलवासियों के हित की बात कर सकती है. भाजपा के पास कोई भी मुद्दा लिट्टीपाड़ा विधानसभा उपचुनाव को लेकर नहीं है. केवल झामुमो के विधायक रहे डॉ अनिल मुर्मू की पत्नी को लेकर मुद्दा खड़ा कर रही है. कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में हुए संशोधन का सबसे ज्यादा विरोध विधायक डॉ अनिल मुर्मू ने ही किया था. उन्होंने आम लोगों को भाजपा की गलत नीतियों से बचते हुए लिट्टीपाड़ा विधानसभा उपचुनाव में जनता को इसका जवाब देना होगा. पूर्व मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने हिरणपुर प्रखंड के जामपुर, गोपालपुर, बागशीशा, डांगापाड़ा, बिंदाडीह, गम्हरिया, कालाझोर, आसनजोला सहित अन्य गांवों में जन संपर्क अभियान चलाया. वहीं, लिट्टीपाड़ा प्रतिनिधि के अनुसार प्रखंड क्षेत्र के जोरडीहा, धरमपुर, घघरी, हाथीबथान, कुंदवा, सोनाधनी सहित अन्य क्षेत्रों में भी जनसंपर्क अभियान चलाया गया.
भाजपा-झामुमो का आदिवासी विरोधी चेहरा बेनकाब : मरांडी
झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी बुधवार को देवघर में थे. उन्होंने कहा कि लिट्टीपाड़ा विधानसभा चुनाव में पार्टी पैनम कोल माइंस के विस्थापितों व एसपीटी एक्ट में छेड़छाड़ को मुद्दा बनाकर जनता के बीच जा रही है. श्री मरांडी ने कहा कि लिट्टीपाड़ा में जो उप-चुनाव अनिल मुर्मू के निधन के बाद हो रहा है, उसकी असलियत यही है कि भाजपा और झामुमो लड़ तो रहे हैं एक दूसरे के खिलाफ, लेकिन मौका मिलने पर दोनों कब फिर से एक साथ हो जायेंगे इसकी कोई राजनीतिक गारंटी नहीं है. दरअसल भाजपा झारखंड में झामुमो को अपने लाभ के लिए जीवित रखना चाहती है, ताकि मौका मिलने पर उसके सहयोग से भविष्य में भी सरकार बनाया जा सके. इससे दोनों का आदिवासी विरोधी चेहरा उजागर होता रहता है.

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