महिला आयोग द्वारा संचालित महिला पंचायत की कोशिशों से वह पुलिस के पास पहुंची, जिसके बाद महिला के बयान पर दिल्ली के निहाल विहार थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी है. जिसमें बिलेंद्र साहू, बाबूराज, बरातू महली और एक महिला आरती को नामजद अभियुक्त बनाया गया है. जानकारी के मुताबिक पीड़ित महिला विवाहित है. उसके तीन बच्चे हैं. घर में आर्थिक दिक्कतें व झगड़े से परेशान थी. वह महिलाओं को दिल्ली ले जाकर काम पर लगानेवाले बिलेंद्र साहू नामक एजेंट के संपर्क में आयी. बिलेंद्र साहू ने उसे दिल्ली में काम दिलाने का झांसा दिया और जनवरी में उसे अपने साथ दिल्ली ले गया. वहां उसे शकरपुर स्थित अपने ऑफिस में रखा. एक माह बीतने के बाद भी महिला को उसने कोई काम नहीं दिलवाया. महिला द्वारा पूछने पर कहता रहा कि जल्द ही काम मिल जायेगा. इसके बाद महिला ने अपने पति से बात की और वापस लौटने का मन बनाया.
बिलेंद्र ने उसका मोबाइल और आधार कार्ड रख लिया और उसे निहाल विहार स्थित एक दूसरे एजेंट बाबूराज के ऑफिस में ले गया. वहां पर बाबूराज के अलावा आरती भी थी. बलिंद्र उसे बाबूराज के पास छोड़ कर चला गया. महिला ने जब बाबूराज से काम के बारे में बात की, तो उसने उसे (पीड़िता को) बताया कि वह बच्चे पैदा कराने का भी काम करता है. पीड़िता द्वारा विरोध करने पर उसके साथ मारपीट की गयी और एक कमरे में उसे बंद कर दिया गया. इसके बाद छह-सात मार्च को खुद को बरातू महली बतानेवाले व्यक्ति ने लगातार दो दिनों तक उसके साथ दुष्कर्म किया, ताकि वह गर्भवती हो जाये. पीड़ित महिला को शक है कि वह गर्भवती हो गयी है. वह किसी तरह वहां से भागी. फिर महिला पंचायत के संपर्क में आयी. पीड़ित महिला को शक है कि सिमडेगा में उसकी हत्या की जा सकती है, क्योंकि बाबूराज का सहयोगी आरती भी सिमडेगा आती रहती है और उसका संबंध यहां सक्रिय नक्सली-उग्रवादी संगठनों के लोगों से भी है.