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मोमेंटम झारखंडवाली व्यवस्था पर हाइकोर्ट ने मांगा जवाब

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को रांची को स्वच्छ व अतिक्रमणमुक्त रखने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई के पूर्व जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने […]

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को रांची को स्वच्छ व अतिक्रमणमुक्त रखने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई के पूर्व जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
खंडपीठ ने सरकार से जानना चाहा कि मोमेंटम झारखंड के दाैरान शहर साफ-सुथरा व अतिक्रमणमुक्त रखा गया, तो अब क्यों संभव नहीं हो रहा है? हमेशा शहर स्वच्छ व अतिक्रमणमुक्त क्यों नहीं हो सकता है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 अप्रैल की तिथि निर्धारित की. इससे पहले प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी दीवान इंद्रनील सिन्हा ने जनहित याचिका दायर कर मोमेंटम झारखंड के दौरान राजधानी में की गयी ट्रैफिक व्यवस्था को कायम रखने की मांग की है.
आरआरडीए और रांची नगर निगम के जवाब पर हाइकोर्ट ने प्रार्थी को पक्ष रखने का निर्देश दिया
रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को रांची में तालाबों को भर कर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाने काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रार्थी को प्रतिउत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया. एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार व रांची नगर निगम के जवाब के आलोक में प्रार्थी को स्थल का सत्यापन कर पक्ष रखने को कहा. मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी. आरआरडीए के अधिवक्ता प्रशांत कुमार सिंह व आरएमसी के अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने शपथ पत्र दायर किया.
नगर निगम की अोर से बताया गया कि वर्ष 2010 से नक्शा पास किया जा रहा है. इससे पहले आरआरडीए नक्शा पास करता था. तालाब को भर कर बिल्डिंग बनाने का नक्शा पास नहीं किया गया है. वहीं, आरआरडीए की अोर से बताया गया कि वर्ष 2009 तक की फाइलें सीबीआइ के पास है. तालाब भर कर बिल्डिंग बनाने का नक्शा पास किया गया है अथवा नहीं, स्पष्ट जानकारी देने में असमर्थता जतायी गयी

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