यहां से निकलनेवाले 2201 किलो कचरे का निष्पादन नहीं हो रहा है. 42 फीसदी अस्पताल इससे संबंधित कोई सुझाव भी नहीं मानते हैं. 79 फीसदी अस्पताल को खुले में ही कचरा रखते हैं. प्रावधान है कि 48 घंटे के अंदर कचरे का निष्पादन होना चाहिए. रिम्स में 1500 बेड है. यहां की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. संस्था का कहना है कि इससे संबंधित कोई ठोस डाटा न तो स्वास्थ्य विभाग के पास है और न ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के पास.
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झारखंड में बायो मेडिकल वेस्ट की स्थिति चिंताजनक
रांची: दिल्ली की संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड इनवॉयरमेंट (सीएसइ) ने कहा है कि झारखंड में बायो मेडिकल वेस्ट (जैविक कचरा) के निष्पादन की स्थिति बहुत चिंता जनक है. यहां के अधिकतर अस्पताल जैविक कचरे का निष्पादन नहीं कर रहे हैं. संस्था के उप महानिदेशक चंद्रभूषण ने आइएमए हॉल में आयोजित कार्यशाला में यह जानकारी […]
रांची: दिल्ली की संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड इनवॉयरमेंट (सीएसइ) ने कहा है कि झारखंड में बायो मेडिकल वेस्ट (जैविक कचरा) के निष्पादन की स्थिति बहुत चिंता जनक है. यहां के अधिकतर अस्पताल जैविक कचरे का निष्पादन नहीं कर रहे हैं. संस्था के उप महानिदेशक चंद्रभूषण ने आइएमए हॉल में आयोजित कार्यशाला में यह जानकारी दी.
उन्होंने कि झारखंड में धनबाद और रांची में 19 अस्पतालों का सर्वेक्षण किया गया. इसमें पाया गया कि 40 फीसदी जैविक कचरे का निष्पादन नहीं हो रहा है. ज्यादातर अस्पताल भारत सरकार के बायोमेडिकल वेस्ट के लिए बने कानून का उल्लंघन कर रहे हैं. जिन अस्पतालों का अध्ययन किया गया वहां 3486 बेड है.
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