पानी की कमी होने से गांव में सिर्फ धान व कुछ सब्जियों की ही खेती होने लगी थी. पिछले साल लिफ्ट इरिगेशन सिस्टम को विभाग ने दुरुस्त करा दिया. अगले वर्ष से टाटी के अन्य किसान भी पहले की तरह गेहूं की खेती शुरू करेंगे.
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खुशहाली. टाटी के ग्रामीणों ने करीब 90 एकड़ भूमि में गेहूं की खेती की है, पानी मिला, तो लहलहा उठी फसल
रांची : टाटीसिलवे के टाटी गांव में इन दिनों गेहूं की फसल लहलहा रही है. ग्रामीणों ने करीब 90 एकड़ जमीन पर गेहूं की खेती की है. गांव वालों को अच्छी फसल की उम्मीद है. वर्षों बाद टाटी की हरियाली लौटी है. ग्रामीणों ने इसके लिए प्रभात खबर तथा जल संसाधन विभाग का आभार प्रकट […]
रांची : टाटीसिलवे के टाटी गांव में इन दिनों गेहूं की फसल लहलहा रही है. ग्रामीणों ने करीब 90 एकड़ जमीन पर गेहूं की खेती की है. गांव वालों को अच्छी फसल की उम्मीद है. वर्षों बाद टाटी की हरियाली लौटी है. ग्रामीणों ने इसके लिए प्रभात खबर तथा जल संसाधन विभाग का आभार प्रकट किया है. ग्रामीणों ने बताया कि पहले गांव में गेहूं, सरसों व आलू की अच्छी खेती होती थी, पर कुछ वर्ष पहले यहांं लगा लिफ्ट इरिगेशन सिस्टम खराब हो गया था.
इस बार करीब 20 एकड़ में किसानों ने आलू की भी खेती की. इससे करीब 400 क्विंटल अालू की पैदावार हुई है. दरअसल टाटी इलाके का अकेला गांव था, जो सालों भर हरा-भरा रहता था. वर्ष 1983-84 में ही यहां लिफ्ट इरिगेशन सिस्टम (उदवह सिंचाई प्रणाली) लगा था. पास की स्वर्णरेखा नदी से सालों भर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध थी. इसलिए गरमी के मौसम में भी फसल लहलहाती थी. करीब चार वर्ष पहले लिफ्ट इरिगेशन सिस्टम के तीन में से दो मोटर खराब हो गये. वहीं चेक डैम, पाइप लाइन, कुआं व चैनल में भी मरम्मत की जरूरत थी. इस कारण गांव में रबी की खेती लगभग बंद हो गयी.
विभागीय मंत्री व सचिव ने दिखायी सक्रियता : गांव वालों ने प्रभात खबर के माध्यम से जल संसाधन मंत्री चंद्र प्रकाश चौधरी से इरिगेशन सिस्टम को दुरुस्त कराने का आग्रह किया था. लिफ्ट इरिगेशन सिस्टम का संचालन करने वाले गांव के युवा किसान मनोज महतो, घुमेश्वर महतो, बंधन महतो, राहुल महतो, बसंत महतो व आलोक महतो ने कहा था कि उन्हें थोड़ी अौर सुविधा मिले, तो वे टाटी को मॉडल गांव बना देंगे. इससे संबंधित खबर छपते ही मंत्री श्री चौधरी ने तत्परता दिखायी. विभागीय सचिव सुखदेव सिंह अपने अधिकारियों के साथ उसी दिन टाटी गांव पहुंचे थे. उन्होंने इरिगेशन सिस्टम की मरम्मत के लिए तत्काल प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया. इसके बाद करीब 67 लाख की लागत से अाठ माह में सिस्टम को दुरुस्त किया गया़.
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