विवाद का पटाक्षेप. प्रशासन ने आदिवासी समुदाय को ससम्मान लौटाया शिलापट्ट, जयपाल सिंह स्टेडियम में जुटे लोग
पिस्का मोड़ पर स्व कार्तिक उरांव के नाम का शिलापट्ट लगाने को लेकर दो दिनों तक चले विवाद का गुरुवार को पटाक्षेप हो गया. जैसा कि प्रशासन और आदिवासी समुदाय के बीच हुई वार्ता में तय हुआ था, शुक्रवार को ससम्मान इस शिलापट्ट को पिस्का मोड़ स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर में (गैर विवादित भूमि पर) स्थापित कर दिया गया.
रांची : बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग गुरुवार दोपहर 12.00 बजे जयपाल सिंह स्टेडियम में जुटे. सभी पारंपरिक वेशभूषा में थे. यहां प्रशासन ने पूर्व मंत्री बंधु तिर्की और गीताश्री उरांव को बुधवार को हुई बैठक की कार्रवाई की प्रति सौंपी. दोपहर 2:15 बजे यहां से ये लोग स्व कार्तिक उरांव के नामवाले शिलापट्ट को फूलों से सजे ऑटो में रखकर पिस्का मोड़ के लिए रवाना हुए. ऑटो के आगे लोग सरना झंडा लेकर गाजे-बाजे के साथ नाचते-गाते हुए चल रहे थे. शिलापट्ट को पिस्का मोड़ ले जाया गया.
दोपहर 3:20 बजे सभी पिस्का मोड़ पर उस जगह पहुंचे, जहां पहले शिलापट्ट लगा हुआ था. यहां शिलापट्ट के साथ सरना झंडा की पूजा की गयी. शिलापट्ट के साथ समुदाय के लोगों ने सरना झंडा की भी परिक्रमा की. शाम 4:00 बजे पूजा-अर्चना के बाद पिस्का मोड़ स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर में पूरे विधि-विधान के साथ स्व कार्तिक उरांव के नामवाले शिलापट्ट काे स्थापित कर दिया गया. कार्यक्रम में पूर्व मंत्री बंधु तिर्की, गीताश्री उरांव, अरुण उरांव, आदिवासी सेना के शिवा कच्छप सहित एक दर्जन से अधिक आदिवासी समुदाय के पदाधिकारी व सदस्य, सैकड़ों महिला, पुरुष, बच्चे, युवक-युवतियां मौजूद थे. खुशी का इजहार करते हुए इन लोगों पटाखे भी फोड़े.
प्रशासन ने हटाया था शिलापट्ट को : पिस्का मोड़ पर सोमवार को आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने समारोह आयोजित कर स्व कार्तिक उरांव के नामवाली शिलापट्ट लगाया था. साथ ही इस चौक का नाम कार्तिक उरांव चौक करने की घोषणा की थी. इसके बाद जिला प्रशासन ने इसे अनुचित करार देते हुए शिलापट्ट को हटा दिया था. साथ ही वहां लगे सरना झंडा को भी हटा दिया था. इसके बाद मंगलवार रात आदिवासी समुदाय के लोगों ने पिस्का मोड़ पर काफी हंगामा, तोड़फोड़ और पथराव किया था. बाद में जिला प्रशासन ने आदिवासी समुदाय ने नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया था. बुधवार को वार्ता हुई थी, उन्हें बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है इसलिए चौक पर शिलापट्ट स्थापित नहीं किया जा सकता है.
शिलापट्ट अन्यत्र स्थापित करने पर सहमति बनी थी. इसी के तहत जिला प्रशासन ने आदिवासी समुदाय काे ससम्मान शिलापट्ट लौटा दिया.
पुलिस छावनी में तब्दील हुआ पिस्का मोड़ : पिस्का मोड़ पर गुरुवार को सुबह से ही पुलिस की तैनाती कर दी गयी थी. पूरा पिस्का मोड़ पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था. एहतियात के तौर पर झारखंड आर्म्स पुलिस (जैप) और लाठी-पार्टी को बॉडी प्रोटेक्टर के साथ तैनात किया गया था. साथ ही वाटर कैनन और फायर ब्रिगेड वाहन भी तैनात थे. वहीं, भारी संख्या में महिला पुलिस को भी तैनात किया गया था. मौके पर एसडीओ भाेर सिंह यादव, शहर सीओ धनंजय कुमार, सदर डीएसपी विकास चंद्र श्रीवास्तव, विजय सिंह सहित कई थाना प्रभारी व पुलिस पदाधिकारी मौजूद थे.
जुलूस पहुंचते ही बंद हो गयीं चौक की दुकानें : जुलूस के पिस्का मोड़ पहुंचने पर आसपास की अधिकतर दुकानें बंद कर दी गयीं. शिलापट्ट को विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थापित किये जाने के बाद शाम पांच बजे तक अधिकतर दुकानें खुल गयीं. जुलूस के कारण डर से कई सब्जी की दुकानें भी नहीं लगायी गयी थीं. दुकानदार सब्जी समेट कर ऑटो में रखे हुए थे. सब्जी बेचनेवाली एक महिला ने बताया कि वह हंगामे की आशंका से डरी हुई है, इसलिए सब्जी ऑटो में ही रखी है. स्थिति खराब हुई तो ऑटो लेकर घर लौट जायेगी.
पत्थलगड़ी में शामिल होनेवाली आदिवासी समितियां : आदिवासी सेना, केंद्रीय सरना समिति, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, आदिवासी सरना महासभा, झारखंड आदिवासी संघर्ष समिति, आदिवासी लोहरा समाज, छात्र विकास परिषद, आदिवासी छात्र संघ, 22 पड़हा साेहराई जतरा समिति, लावेद कुटे तिरिल, झारखंड क्षेत्रीय पड़हा समिति हटिया, संयुक्त पड़हा महासभा खूंटी के प्रतिनिधि शामिल थे.
कार्यक्रम शामिल लोग : कार्यक्रम में मुन्नी खलखो, मंजू तिर्की, अजय र्तिकी, राहुल उरांव, अजय कच्छप, नारायण उरांव, रवि तिग्गा, विजय मुंडा, निरंजना हरेंज टोप्पो, पवन तिर्की, संदीप उरांव, राहुल तिर्की, संदीप उरांव, चंपा कुजूर, अमृत बांडो, अरविंद बाखला, सुशील उरांव, चिलगू कच्छप, शांति उरांव सहित कई विभिन्न आदिवासी संगठनाें के कई पदाधिकारी उपस्थित थे.
जल्द ही पिस्का मोड़ में कार्तिक उरांव की प्रतिमा स्थापित करेंगे : बंधु
शिलापट्ट की स्थापना के दौरान आदिवासी समुदाय की सभा भी हुई. सभा की अध्यक्षता आदिवासी सेना के अध्यक्ष शिवा कच्छप व संचालन सती तिर्की ने किया. इस दौरान बंधु तिर्की ने कहा कि जिस तरह सरकार व जिला प्रशासन ने मिल कर स्व कार्तिक उरांव का अपमान किया है, उसे भुलाया नहीं जा सकता. हमलोग जल्द ही पिस्का मोड़ में कार्तिक उरांव की प्रतिमा स्थापित करेंगे. शिवा कच्छप ने कहा कि कार्तिक उरांव को हम आदिवासी समुदाय भगवान मानते हैं.
भगवान के साथ दुर्व्यवहार कतई बरदाश्त नहीं करेंगे. सरकार व जिला प्रशासन पहल कर पिस्का मोड़ चौक का नामकरण कार्तिक उरांव चौक करे, अन्यथा सरहुल पर्व के पहले आंदोलन होगा. डॉ अरुण उरांव ने कहा कि कानून का हम सम्मान करते हैं, लेकिन कार्तिक उरांव को अपमानित कर कानून का उल्लंघन करनेवालों को पदाधिकारी काे सजा दें, अन्यथा आदिवासी समुदाय उन्हें सजा देगी. कार्तिक उरांव का अपमान पूरे झारखंड का अपमान है.
झारखंड के महानायकों को अपमानित कर रही सरकार
कार्तिक बाबू केवल झारखंड हीं नहीं देश के महान नायक, सरकार का हर कदम आदिवासियों के खिलाफ
रांची : राजधानी के पिस्का मोड़ चौक के नामकरण को लेकर हुए विवाद पर कांग्रेस नेताओं ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है़ सांसद प्रदीप बलमुचु, एसटी आयोग के पूर्व अध्यक्ष सह कांग्रेस नेता डॉ रामेश्वर उरांव, पूर्व मंत्री व कार्तिक उरांव की बेटी गीता श्री उरांव ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सरकार झारखंड के महानायकों को अपमानित कर रही है.
इसे बरदाश्त नहीं किया जायेगा़ कार्तिक उरांव केवल झारखंड ही नहीं, देश-विदेश में करोड़ों आदिवासियों के जाने-माने नायक रहे. आदिवासी उन्हें भगवान की तरह पूजते है़ं मौके पर कांग्रेस महासचिव डॉ राजेश गुप्ता व सतीश पॉल मुंजनी भी मौजूद थे़
झारखंड के महानायकों की अस्मिता को ठेस पहुंचाया जा रहा : गीता श्री उरांव ने कहा कि एक सुनियोजित तरीके से झारखंड में ऐसे नायकों को स्थापित किया जा रहा है, जिनका यहां से सरोकार नहीं रहा़ चौक-चौराहे से लेकर सड़क और रांची कॉलेज जैसे संस्थान को बाहर के लोगों का नाम दिया जा रहा है़ झारखंड के महानायकों की अस्मिता को ठेस पहुंचाया जा रहा है.
भगवाकरण करने का प्रयास किया जा रहा है, इसे बरदाश्त नहीं किया जायेगा़ श्रीमती उरांव ने कहा कि पूर्व की सरकार में ही कला-संस्कृति विभाग ने पिस्का मोड़ का नाम स्व कार्तिक बाबू के नाम पर रखा था़ इसके बाद सरकार चली गयी, तो काम आगे नहीं बढ़ा़ अब जब लोग खुद आगे आये, तो प्रशासन को उनकी भावना का ख्याल नहीं है़
आदिवासी-मूलवासी पर धौंस जमाना चाहती है सरकार : सांसद प्रदीप बलमुचु ने कहा कि सरकार का हर एक्शन आदिवासी-मूलवासी के खिलाफ है. सरकार धौंस जमा कर काम करना चाहती है़ कार्तिक उरांव जैसे स्थापित नेता के नाम पर चौक का नामाकरण होता है, तो प्रशासन विरोध करता है़ गांव वालों में इसको लेकर आक्रोश है़
उन्हाेंने कहा कि सरकार अगर यहां के नायकों को सम्मान नहीं देती है, तो झारखंड के लोगों को गोलबंद कर सड़क पर उतरेंगे़ यह सरकार सिर्फ और सिर्फ आदिवासी के विरोध में काम कर रही है़
जमीन दलाल कर रहे एक्ट में संशोधन का समर्थन : : डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि अभी तीन-तीन सरना समिति बन गयी है़ सरना समिति में जमीन दलाल भी घुस गये है़
ऐसे लोग ही सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का समर्थन कर रहे है़ं झारखंड के आदिवासी संशोधन के खिलाफ है़ं धर्मगुरु कार्डिनल भी एक आदिवासी है़ं राज्यपाल पांचवीं अनुसूची में आदिवासियों की गार्जियन है़ं कार्डिनल आदिवासियों की चिंता लेकर कर राज्यपाल के पास गये थे़
एक्ट में संशोधन हो गया, तो आदिवासी के पास जमीन नहीं बचेगी़ उन्होंने कहा कि कार्तिक उरांव के नाम से चौक बनाना चाहते हैं, तो बनाने नहीं दिया जा रहा है़ ऐसे में समाज में शांति व्यवस्था कायम नहीं रह सकती है.