रांची : राज्य सरकार लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का दरजा नहीं देगी. उसे पहले की तरह ही राज्य में पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र मिलेगा. सरकार ने टीआरआइ की रिपोर्ट और लोहार जाति के आवेदन पर सभी पक्षों की सुनवाई के बाद यह फैसला किया है. लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का दरजा की […]
रांची : राज्य सरकार लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का दरजा नहीं देगी. उसे पहले की तरह ही राज्य में पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र मिलेगा. सरकार ने टीआरआइ की रिपोर्ट और लोहार जाति के आवेदन पर सभी पक्षों की सुनवाई के बाद यह फैसला किया है. लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का दरजा की मांग एकीकृत बिहार के समय से ही उठती रही है. राज्य में लोहार को पिछड़ी जाति और लोहरा को एसटी का दरजा प्राप्त है.
राज्य गठन के बाद लोहार जाति को एसटी का दरजा दिये जाने की मांग तेज हुई. हालांकि पिछले दिनों सरकार ने इस मांग पर विचार करना शुरू किया. उसने जनजातीय शोध संस्थान से रिपोर्ट मांगी. शोध संस्थान ने अध्ययन के बाद सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी. संस्थान ने लोहार और लोहरा को अलग-अलग जाति बताया और लोहार को एसटी का दरजा नहीं देने की अनुशंसा की. इसके बाद सरकार ने इस मामले पर सुनवाई शुरू की. सुनवाई के दौरान लोहार जाति के लोगों व प्रतिनिधियों के साथ ही एसटी समुदाय के सदस्यों को शामिल किया गया.
लोहार को एसटी…
ऐसे हुआ फैसला : सुनवाई के दौरान लोहार जाति की ओर से अपना पक्ष पेश करते हुए कहा गया कि लोहार और लोहरा दोनों एक ही जाति है. जैसे अंगरेजी में ‘ राजेंद्र’ को ‘राजेंद्रा’ लिखा जाता है. पर वास्तव में दोनों एक ही होते हैं. इसी तरह सर्वे के दौरान ‘लोहार’ को अंगरेजी में ‘लोहरा’ लिखा गया. दोनों एक ही हैं. इसलिए अगर लोहरा को एसटी माना गया है, तो लोहार को भी एसटी माना जाना चाहिए. सुनवाई के दौरान एसटी समुदाय की ओर से लोहार जाति की जीवन शैली और परंपराओं को एसटी से अलग बताया गया. सरकार ने इस मामले में सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श के बाद लोहार को पहले की तरह पिछड़ी जाति की श्रेणी में रखने का फैसला किया है.
सभी पक्षों की सुनवाई के बाद झारखंड सरकार का फैसला
लोहार प्रतिनिधियों की दलील : लोहार व लोहरा दोनों एक ही जाति है. जैसे अंगरेजी में ‘ राजेंद्र’ को ‘राजेंद्रा’ लिखा जाता है. वैसे ही सर्वे के दौरान ‘लोहार’ को अंगरेजी में ‘लोहरा’ लिखा गया .
एसटी समुदाय के प्रतिनिधियों ने कहा : सुनवाई के दौरान एसटी समुदाय के प्रतिनिधियों ने लोहार जाति की जीवन शैली और परंपराओं को लोहरा (एसटी) से अलग बताया.
टीआरआइ की रिपोर्ट में भी लोहार को एसटी का दरजा नहीं देने की अनुशंसा की गयी