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रंग लायी मेहनत: मोमेंटम झारखंड को सफल बनाने में सीएम से लेकर आदेशपाल तक जुटे रहे
रांची: जिस सरकारी मशीनरी को लोग कोसते थे, उसी सरकारी मशीनरी ने मोमेंटम झारखंड जैसे बड़े आयोजन को सफल कर दिखाया. यह पहला मौका था, जब पूरी सरकार एक टीम के रूप में काम करती नजर आयी. टीम के कैप्टन मुख्यमंत्री रघुवर दास थे. आइएएस, आइपीएस, झाप्रसे व सचिवालय सेवा से लेकर जिला प्रशासन के […]
रांची: जिस सरकारी मशीनरी को लोग कोसते थे, उसी सरकारी मशीनरी ने मोमेंटम झारखंड जैसे बड़े आयोजन को सफल कर दिखाया. यह पहला मौका था, जब पूरी सरकार एक टीम के रूप में काम करती नजर आयी. टीम के कैप्टन मुख्यमंत्री रघुवर दास थे. आइएएस, आइपीएस, झाप्रसे व सचिवालय सेवा से लेकर जिला प्रशासन के अिधकारी, कर्मचारी व आदेशपाल तक इस आयोजन को सफल बनाने में जुटे रहे. नोडल विभाग उद्योग विभाग था, पर सरकार का ऐसा शायद ही कोई विभाग हो, जिसने इस आयोजन में भागीदारी नहीं निभायी हो. लोग हैरत में थे, सुस्त रहनेवाली सरकार अचानक चुस्त कैसे होगी.
अमूमन लोग मानते हैं कि सरकारी मशीनरी में जंग लगी हुई है, जिससे विकास की गति धीमी रहती है. जिस प्रकार पिछले तीन महीनों से सरकारी मशीनरी काम करती नजर आ रही थी, लोग हैरत में थे. हर तरफ सड़क का निर्माण हो रहा था. नालियां पक्की हो रही थीं. डिवाइडर को दुरुस्त किया जा रहा था, पेड़-पौधे लगाये जा रहे थे. जैसे-जैसे समय करीब आता गया शहर की सबसे खराब सड़क के रूप में घोषित कांटाटोली-बूटी मोड़ सड़क अचानक चकाचक हो गयी. गड्ढे गायब हो गये, ट्रैफिक स्मूथ हो गयी. शहर में कहीं गंदगी नहीं, एक पत्ता भी गिरता तो तुरंत साफ हो जाता. लोग हैरत में थे कि यह सब कैसे हो रहा है. एक वक्त वह भी था, जब लोग कहते थे कि वाइब्रेंट गुजरात की तर्ज पर मोमेंटम झारखंड कैसे हो सकता है. सरकार यह नहीं करा पायेगी. लोगों को विश्वास तक नहीं हो रहा था कि यह सब हो सकता है. पर सरकार ने एक टीम के रूप काम कर इसे सफल कर दिखाया. मुख्यमंत्री रघुवर दास भी कहते हैं कि यहां टीम झारखंड ने काम किया. विभागों के काम पर एक नजर.
चुनौतियों पर खड़ी उतरी सुरक्षा-व्यवस्था : ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट-2017 के दौरान पुलिस को यह टास्क मिला था कि शहर भर में सुरक्षा-व्यवस्था कायम रहे, अपराध की कोई बड़ी घटना न हो. ट्रैफिक की व्यवस्था ऐसी रहे, जिसमें कहीं भी जाम नहीं लगे. समिट में आनेवाले अतिथियों को एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन व होटल से खेलगांव तक पहुंचने में किसी तरह की दिक्कत न हो. खेलगांव में सुरक्षा इंतजाम पुलिसिया कम स्वागतकर्मी जैसा ज्यादा हो. पुलिस महकमे के लिए यह सब बड़ी चुनौती थी. पुलिस के जवान इस चुनौती पर खड़े उतरे. शायद ही किसी को पुलिस के जवानों से किसी तरह की शिकायत रही. ग्लोबल समिट के दौरान पुलिस के जवानों का व्यवहार बिल्कुल दोस्ताना रहा. डीजीपी डीके पांडेय, एडीजी स्पेशल ब्रांच अनुराग गुप्ता, आइजी ऑपरेशन आशीष बत्रा, डीआइजी जैप सुधीर कुमार झा, रांची डीआइजी अमोल वी होमकर, डीसी मनोज कुमार, एसएसपी कुलदीप द्विवेदी, सिटी एसपी कौशल किशोर इस काम में पिछले कई दिनों से लगे हुए थे. कई दिनों तक सुरक्षा-व्यवस्था का खाका तैयार किया गया. 87 डीएसपी को अलग-अलग जोन में सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गयी. दूसरे जिलों से 5000 जवानों को बुलाकर तैनाती की गयी. खेलगांव पहुंचनेवाली सड़कों के हर मोड़ पर जवानों को तैनात किया गया.
सड़कों को चमकाने में दिन-रात लगे रहे अभियंता : मोमेंटम झारखंड के दौरान सड़कों को चमकाने में दिन-रात इंजीनियर लगे रहे. पथ विभाग के अभियंता प्रमुख खुद सड़कों का निरीक्षण करते रहे. एयरपोर्ट से लेकर हिनू होते हुए डोरंडा से खेलगांव तक सड़कों को सुंदर बनाने का काम होता रहा. उसी तरह हिनू से बिरसा चौक होते हुए हरमू बाइपास रोड पर भी काम किया गया. बरियातू रोड को भी चिकना किया गया, जहां सड़क पर गड्ढे नजर आये, उसे भर दिया गया. सड़क चिकना करने के साथ ही व्हाइट लाइनिंग की गयी. डिवाइडर को पेंट किया गया. सड़क किनारे टाइल्स बिछाये गये. कहीं भी सड़क पर धुल न हो, इसके पुख्ता इंतजाम किये गये. सड़क को चमकाने में करीब सात करोड़ रुपये खर्च किये गये.
उद्योग विभाग: मोमेंटम झारखंड का नोडल विभाग उद्योग विभाग ही था. जनवरी 2015 में ही इसकी परिकल्पना की गयी थी. जब मुख्यमंत्री रघुवर दास ने तय किया कि वाइब्रेंट गुजरात के तर्ज पर झारखंड में भी ऐसा आयोजन होगा. फिर विभाग लगातार नीतियां बनाने में जुटा रहा. उद्योग फ्रेंडली नीतियां बनायी गयीं. इसके बाद विभाग द्वारा तैयारियां आरंभ की गयीं. पहले अर्नेस्ट एंड यंग को नॉलेज पार्टनर बनाया गया. फिर एड फैक्टर को मीडिया पार्टनर बनाया गया. पूरे आयोजन के लिए सीआइअाइ को इवेंट पार्टनर बनाया गया. इसके बाद रोड शो कर निवेशकों को आमंत्रित करने का काम आरंभ किया गया. देशभर में बेंगलुरू, हैदराबाद, दिल्ली, कोलकाता व मुंबई में रोड शो किये गये. विदेशों में सिंगापुर, अमेरिका और चीन में रोड शो कर निवेशकों को आमंत्रण दिया गया. इसके बाद मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव के स्तर पर मॉनिटरिंग होती रही. विभाग में नौ आइएएस को पहले ओएसडी बनाया गया. विभागीय सचिव सुनील बर्णवाल, निदेशक के रविकुमार, संयुक्त सचिव माधवलाल सिंह द्वारा पूरे आयोजन की मॉनिटरिंग की जाती रही. विभाग में आयोजन के लिए अलग सेल बना दिया गया, जहां सीआइअाइ व अर्नेस्ट एंड यंग के लोग काम कर रहे थे. वेबसाइट बनाने से लेकर रजिस्ट्रेशन कराने का काम आरंभ हुआ. विभागों से समन्वय स्थापित किया गया. नौ वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों को अलग-अलग जिम्मेवारी भी सौंपी गयी. इस तरह काम होता गया.
सात दिन तक 24 घंटे काम करता रहा बिजली महकमा
मोमेंटम झारखंड को लेकर बिजली महकमा भी सात दिन तक 24 घंटे काम करता रहा. बिजली वितरण से लेकर ऊर्जा विभाग का कार्य विभाग भी इसमेें लगा रहा. बिजली वितरण निगम के एमडी राहुल पुरवार खुद इसकी मॉनिटरिंग कर रहे थे. मोमेंटम झारखंड के लिए मुख्यालय में एक सेल गठित कर लगातार इसकी मॉनिटरिंग हो रही थी. दिसंबर माह में ही खेल गांव तक जानेवाली प्रमुख सड़कों पर खंभा व तार बदलने का सिलसिला आरंभ हो गया था. सभी खंभों को सिल्वर कलर से रंगा गया. नगर निगम के साथ मिल कर खंभे में एलइडी लाइट लगाये गये. जहां भी टेढ़े-मेढ़े खंभे थे, उसे बदला गया. तारों को दुरुस्त किया गया. खेलगांव परिसर को नामकुम, कांके व हटिया ग्रिड से कनेक्ट किया गया, ताकि कहीं से भी फॉल्ट हो तो बिजली बाधित न हो. खेलगांव परिसर में भी एमडी से लेकर जेइ तक तीन दिनों तक मौजूद रहे. इधर, ऊर्जा विभाग के कार्य विभाग के अभियंताओं ने बिजली के खंभों को लाइट से सजाया. जगह-जगह रंगीन तोरण द्वारा बनाये गये, जिसकी लाइटिंग आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी.
गांव से लेकर विदेशों तक पहुंची मोमेंटम झारखंड की धमक
मोमेंटम झारखंड के प्रचार-प्रसार को लेकर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा एक वर्ष पूर्व से ही तैयारी आरंभ कर दी गयी थी. विदेशों के अखबारों में इसका प्रचार-प्रसार किया गया. देश के तमाम राष्ट्रीय स्तर के न्यूज चैनल व अखबारों में दिसंबर माह से ही मोमेंटम झारखंड का विज्ञापन नजर आने लगा. देश के प्रमुख शहरों के एयरपोर्ट में होर्डिंग्स लगाये गये. रांची शहर को होर्डिंग्स व पोस्टर से पाट दिया गया. सोशल मीडिया में भी मोमेंटम झारखंड नजर आ रहा था. लगभग 40 करोड़ रुपये केवल प्रचार-प्रसार में खर्च किये गये. विभागीय सचिव संजय कुमार व निदेशक राजीव लोचन बक्शी इसकी मॉनिटरिंग कर रहे थे. निजी एजेंसी प्रभातम व एड फैक्टर की टीम को पूरे प्रचार-प्रसार की जवाबदेही सौंपी गयी थी. खेलगांव परिसर में अन्य जिलों के डीपीआरओ को दो दिनों के लिए रांची में ही प्रतिनियुक्त कर दिया गया था. मीडिया लाउंज में राष्ट्रीय स्तर की मीडिया को लाने की व्यवस्था की गयी थी. मीडिया को कोई असुविधा न हो, इसका खास ध्यान रखा जा रहा था. मीडिया को बाइट और प्रेस रिलीज तत्काल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी थी. वहीं, प्रमुख लोगों का प्रेस कांफ्रेंस मीडिया लाउंज में ही कराने की व्यवस्था की गयी थी.
ह्वाट्स एप के जरिये होती थी मॉनिटरिंग
शहर के सफाई कर्मचारी 24 घंटे में कहां-कहां सफाई कर रहे हैं, इस पर निगरानी रखने के लिए नगर आयुक्त प्रशांत कुमार ने ह्वाट्स एप पर स्वच्छ रांची ग्रुप बनाया. इस ग्रुप से सभी वार्डों के सुपरवाइजर, इंफोर्समेंट अफसर व सफाई कर्मचारियों को जोड़ा गया. रात में जहां भी सफाई कर्मचारी अभियान चलाते, उसका फोटो ग्रुप में डाला जाता. इस दौरान वरीय अधिकारियों से यह भी पूछा जाता कि अब आगे क्या करना है. रात्रि सेवा में सफाई व्यवस्था की बेहतर मॉनिटरिंग के लिए पूर्व में एक नाइट सुपरवाइजर को प्रतिनियुक्त किया गया था. मोमेंटम झारखंड के दौरान इनकी संख्या पांच कर दी गयी. इन नाइट सुपरवाइजरों को भी निर्देश दिया गया था कि वे रात में प्रमुख सड़कों के साथ-साथ गली-मोहल्ले की भी मॉनिटरिंग करें.
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