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आंदोलनकारियों को मिली बकाया पेंशन

रांची: रांची के पांच झारखंड आंदोलनकारियों को उनकी बकाया पेंशन राशि का भुगतान किया गया है. इनमें उदय सिंह, गुलाम मोहम्मद, पुष्पा देवी, दयाल कुजूर अौर बिरसा तिग्गा शामिल हैं. इन सभी को दस महीने का पेंशन (30-30 हजार रुपये) प्रदान किया गया. इन आंदोलनकारियों को पूर्व में पंद्रह अगस्त 2015 में मुख्यमंत्री रघुवर दास […]

रांची: रांची के पांच झारखंड आंदोलनकारियों को उनकी बकाया पेंशन राशि का भुगतान किया गया है. इनमें उदय सिंह, गुलाम मोहम्मद, पुष्पा देवी, दयाल कुजूर अौर बिरसा तिग्गा शामिल हैं. इन सभी को दस महीने का पेंशन (30-30 हजार रुपये) प्रदान किया गया. इन आंदोलनकारियों को पूर्व में पंद्रह अगस्त 2015 में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सम्मानित किया था अौर उसी समय एक महीने की पेंशन राशि भी दी गयी थी.
गौरतलब है कि झारखंड सरकार के द्वारा झारखंड आंदोलनकारियों के पेंशन के लिए तीन करोड़ 35 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गयी है. झारखंड/वनांचल आंदोलनकारी चिह्नितिकरण आयोग द्वारा 2700 आंदोलनकारियों को चिह्नित किया जा चुका है. इनमें जेल जानेवाले 1900 आंदोलनकारियों को पेंशन दी जानी है.

झारखंड आंदोलन के दौरान छह महीने से कम जेल की सजा काटने वाले आंदोलनकारियों को तीन हजार रुपये पेंशन तथा छह महीने से ज्यादा जेल की सजा काटने वाले को पांच हजार रुपये की पेंशन राशि दी जानी है. जो तीन करोड़ 35 लाख की राशि स्वीकृत की गयी है, उनमें 11 जिलों के लिए एक करोड़ 68 लाख 84 हजार रुपये की राशि भेजी जा चुकी है. इन जिलों में दुमका, धनबाद, बोकारो, लोहरदगा, गुमला, हजारीबाग, गोड्डा, पाकुड़, रांची, पलामू, साहेबगंज शामिल हैं. सबसे अधिक 67 लाख 32 हजार रुपये की राशि दुमका जिला को भेजी गयी है. जबकि रांची के आंदोलनकारियों के पेंशन मद में एक लाख 80 हजार रुपये की राशि भेजी गयी है. साहेबगंज जिले को सबसे कम राशि 72 हजार रुपये की राशि मिली है.
पेंशन मद के लिए कम है राशि : मुमताज
झारखंड आंदोलनकारी मोरचा के संयोजक मुमताज अहमद खान ने कहा है कि झारखंड आंदोलनकारियों के पेंशन मद के लिए महज तीन करोड़ 35 लाख रुपये की राशि बहुत कम है. उन्होंने कहा कि सरकार ने पूर्व में निर्णय लिया था कि जो आंदोलनकारी शहीद हुए हैं अौर आंदोलन के दौरान जिनके अंग भंग (शारीरिक क्षति) हुई है उन्हें पचास हजार रुपये मुआवजा दिया जाने पर सहमति हुई थी. पर अभी किसी को भी मुआवजा नहीं मिला है. ऐसे भी आंदोलनकारी थे, जो बीमारी अौर पैसे के अभाव की वजह से असमय मौत के शिकार हो गये. जीटा एक्का, जुएल उरांव, करीमुद्दीन अंसारी जैसे नाम इनमें शामिल है. जीटा एक्का नामक आंदोलनकारी का पैर गैंगरीन होने के बाद काटना पड़ा. उनकी मृत्यु हो गयी है.

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